सहयात्री

खूबसूरती को एक किनारे रख

कविताएं सदैव ही

हमारे अंतर्मन का

अटूट हिस्सा बनी रहीं !!

कहानियों के किरदारों की तरह

परिणामों की तलाश नहीं की इन्होने कभी ,

जो भी ,,जैसा भी घटित होता रहा,,

या कि,,छूटता रहा,,

सहज स्वीकार करती रहीं उसको ,

बल्कि 

जीवन की लंबी-लंबी यात्राओं में भी

अथक सहयात्री की भांति

चुपचाप ही संग-संग चलती रही हमारे ,

बगैर कोई शिक़ायत किए हुए ही,,है न !!

नमिता गुप्ता "मनसी"

मेरठ,  उत्तर प्रदेश