"आधुनिकीकरण और अर्थव्यवस्था"

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

देश में आज हर तरफ़ धार्मिक भावना वाला माहौल बना हुआ है हर कोई अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के निर्माण का जश्न मना रहा है। अयोध्या वासियों की खुशी दुगनी है, ज़ाहिर सी बात है मंदिर बनने के बाद रोज़गार की ढ़ेरों दिशाएं खुल जाएगी, शहर का विकास होगा और पर्यटकों का आवागमन बढ़ेगा तो बस स्टेशन रेल्वे स्टेशन हवाई अड्डा का आधुनिकीकरण और विकास होगा।

 रोड़ रास्तों का डेवलपमेंट होगा शहर की शक्ल सूरत बदल जाएगी। हमारा देश सनातन धर्म को मानने वाला आर्थिक रुप से समृद्ध देश माना जाता है। आस्था और अर्थव्यवस्था का बहुत नज़दीकि रिश्ता है, क्योंकि न केवल किसी राष्ट्र के विकास पर बल्कि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था पर धर्म के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए धर्म अर्थशास्त्र के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज, धार्मिक पर्यटन विश्व अर्थव्यवस्था में सबसे बड़े और सबसे लाभदायक उद्योगों में से एक बन गया है।

भारत की आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था ‘वर्ण आश्रम’ एवं ‘मंदिर केंद्रित’ रही है। इस्लामिक आक्रमण के साथ देश के सभी बड़े मंदिर नष्ट किए जाने लगे। आक्रमणकारियों को पता था कि भारत की संस्कृति का आधार मंदिर ही है तभी तो सनातन धर्म को परास्त करने के लिए मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा था। 1947 के बाद के विघटित भारत में मंदिरों की संख्या लगभग 20 लाख है।

 इनमें से नौ लाख सनातन हिंदू समाज के मंदिर हैं। ढाई लाख सिख गुरुद्वारे हैं, जिनमें 12 गुरुद्वारों को विशिष्ट गुरुद्वारों के रूप में गुरुओं ने विशेष कारणों से स्थापित किया। इसके अतिरिक्त शेष गुरुद्वारे सरकारी अभिलेख में मंदिर के रूप में ही दर्ज हैं। इसी प्रकार दो लाख से ज्यादा जैन समाज के मंदिर भी मंदिर के रूप में दर्ज हैं। ये पुराने आंकड़े हैं अब तो बेशक वृद्धि हुई होगी।

योगी आदित्यनाथ ने अपने एक बयान में कहा था कि राम मंदिर बनने के बाद अयोध्या में टूरिज्म 4 गुना बढ़ जाएगा। उनकी इस बात का काशी विश्वनाथ के आंकड़े समर्थन कर रहे है। काशी विश्वनाथ में जीर्णोद्धार के बाद सिर्फ़ देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर से पर्यटकों की संख्या बढ़ गई। और छोटे मोटे बिज़नस में तेजी दिख रही है।

श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर टूटने के बाद सैकड़ों वर्षों तक अयोध्या सूनी पड़ी थी आज उस सरजमीं पर मानवमेला उमड़ रहा है। अब हवाई, रेल और सड़क मार्ग से अयोध्या को पूरे देश से जोड़ देने के बाद यात्रियों की वृद्धि अयोध्या के विकास के साथ-साथ नई पीढ़ी के रोजगार का दरवाज़ा भी खोलेगी। 

आंकड़े की मानें तो आज भारत का धार्मिक क्षेत्र 35 करोड़ लोगों को रोज़गार मुहैया कराता है, जबकि केंद्र और राज्यों की कुल नौकरियां साढ़े तीन करोड़ ही हैं। प्रधानमंत्री द्वारा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का उद्घाटन करने के बाद काशी आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या दस करोड़ पार कर गई। 

इनमें से सात करोड़ से ज्यादा लोगों ने होटलों और धर्मशालाओं में निवास किया। एयर, रोड, रेल तथा निजी वाहनों के प्रयोग से प्राप्त होने वाला टैक्स वाराणसी की विशिष्ट वस्तुओं की खरीद का रिकार्ड ‘जीएसटी’ विभाग ही दे सकता हैं। नाविकों और रिक्शा चालकों के साथ बुजुर्गों को मंदिर दर्शन कराने वाले व्हीलचेयर चालक भी औसत हजार रुपये प्रतिदिन की कमाई कर रहे है।

सामान्य तौर पर धार्मिक पर्यटन कार्यात्मक विशेषताओं के साथ, इस विशेषाधिकार वाले क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज धार्मिक पर्यटनों का एक मजबूत बाजार है जिसमें लोग तीर्थ स्थलों को देखने के लिए देश और विदेशों में यात्रा करते है, तो ज़ाहिर सी बात है ।

भारत में सनातन धर्म के स्थलों पर नये परिसर और आधुनिक सुविधाएं जुटाने से सारे देश में धार्मिक पर्यटन स्थल अर्थव्यवस्था को एक मजबूत किक दे सकता है। जहाॅं सुविधाएं मिलती है वहाॅं श्रद्धालु जेब हल्की करने से नहीं कतराते। इसके अलावा स्थानीय सामानों की बिक्री भी बढ़ जाती है। जिससे सरकार को मिलने वाले राजस्व कोष में भी वृद्धि होती है। 

धर्म एक ऐसी भावना है जो सभ्यता के विकास के साथ ही किसी न किसी तरह मनुष्य के जीवन का हिस्सा बनती गई है। भारत में तो धार्मिक पर्यटन की जड़ें प्राचीन काल से ही गहरी है। प्राचीन काल से ही यात्री आध्यात्मिक सांत्वना पाने के लिए चारधाम से लेकर हर प्रसिद्ध मंदिरों की यात्रा करते आएं हैं। कुछ लोगों को धार्मिक स्थानों पर खर्च करना, उनका आधुनिकीकरण करना पैसों की बर्बादी लगता है। 

लेकिन उस कहावत को इंसान नहीं मानता कि 'मन चंगा तो कथरोट में गंगा' गरीब से लेकर उच्च मध्यम वर्ग जब तक धार्मिक स्थानों की यात्रा नहीं कर लेते तब तक जीवन को व्यर्थ समझते है। ईश्वर पर श्रद्धा, यात्रा और उस पर खर्च करना सबकी निज़ी पसंद और फ़ैसला होता है। ये सारी चीजें मनुष्य के भीतर धार्मिक भावना को जगाए रखती है साथ में आत्मसंतुष्टि और संबल प्रदान करती है। मंदिर हमारे सनातन संस्कृति की धरोहर है ईश्वर थे, है और रहेंगे इस बात की पुष्टि का प्रमाण देते है मंदिर।

जब किसी स्थान पर देश विदेश से लोगों का आवागमन होने लगता है तो वहां ट्रांसपोर्ट, होटल इंडस्ट्री, फूड इंडस्ट्री का भी तेजी से विकास होने लगता है। जो आर्थिक परिस्थितियो का सुदृढ़ीकरण करता है। साथ ही तीर्थ स्थानों के आसपास रहने वाले बहुत से लोगों के लिए मंदिर रोजगार का ज़रिया भी होता है। स्थानीय लोगों को फूल, प्रसाद, नारियल और मूर्तियां और छवियां बेचने जैसे छोटे-मोटे रोज़गार मिल जाता है। 

अगर कोई तीर्थ स्थान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर हो जाए तो वहां पर यात्रियों की भीड़ बढ़ने लगती है।‌ जैसे शिरडी साईं मंदिर, तिरुपति बालाजी, वैष्णो देवी, और सिद्धिविनायक मंदिर और अब अयोध्या राम मंदिर। इन मंदिरों में चढ़ावे की रोज़ की राशि जानेंगे तो मुॅंह खुला रह जाएगा। इन प्रसिद्ध मंदिरों में कार्यकर्ताएं दिन-रात पैसों को अलग करने और गिनने में लगे रहते हैं। इन मंदिरों की तिजोरियों में पड़े पैसों को इकट्ठा कर देश के जरूरतमंदों की सहायता के लिए खर्च किया जाए तो देश से गरीबी संपूर्णत: नाबूद हो जाए इतना धन सड़ रहा है।

साथ ही मंदिरों की संरचना और कला कृतियां पर्यटकों को अवश्य आकर्षित करती है जिसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण स्वामीनारायण संप्रदाय के मंदिर अक्षरधाम है। इन मंदिरों के परिसरों में हूबहू पूतले भगवान की लीलाएं दर्शाती कहानियां कहते हैं। बच्चों को आकर्षित करने गम्मत के साथ ज्ञान देने वाले यंत्र संचालित पूतले रखें गए हैं। मंदिरों के प्रांगण में बागीचे और खान-पान की सुविधा के लिए भंडारे का आयोजन और कैंटीन भक्तों का प्रवास आसान कर देता है जिसकी वजह से श्रद्धालुओं का मजमा उमड़ पड़ता है।‌

भारत धार्मिक पर्यटन एक बहुआयामी उद्योग के रूप में विकसित हो रहा है ऐसे में भारत इस क्षेत्र में खुद को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर सकता है इसके लिए सबसे जरूरी है कि पर्यटन की क्षेत्र में मौजूदा कमियों को दूर किया जाए। वैसे देखा जाए तो धार्मिक पर्यटन पर ज़ोर देने के लिए सरकार द्वारा कड़े प्रयास किए जा रहे है। इनमें सबसे प्रमुख कार्य बुनियादी ढांचे के निर्माण से जुड़ा हुआ है। सरकार ने तीर्थ स्थानों तक पहुंचने के लिए रोडवेज, सड़क और एयरपोर्ट का निर्माण किया है ताकि वहां पहुंचने की इच्छा रखने वाले पर्यटकों को मुश्किलों का सामना न करना पड़े। इन सारी चीज़ों को मद्देनजर रखते कह सकते है कि बेशक मंदिरों का आधुनिकीकरण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है।

भावना ठाकर 'भावु' बेंगलोर