हमारे यहां कई त्योहार साथ हैं, लोहड़ी, पोंगल, मकर संक्रान्ति और मकर संक्रान्ति पर पतंगबाजी ना हो ऐसा संभव नहीं। आज के आधुनिक दौर में त्योहार का स्वरूप आधुनिक साजो-सज्जा के साथ मनाने का स्वरूप भी बदल गया है। जोश-खरोश, आनंद बढ़ गया है। नई प्रकार की डिजाइनर पतंगों के साथ नई तरह के मांझें व विदेशी पतंगें, प्लास्टिक पत्नियों व ताव की, उचके-चकरी बेट्री चलित भी हैं। पतंगों-मांझों की दुकानों पर साज और आवाज याने मधुर संगीत बजता है और व्यापार भी चलता है। इस तरफ कटी पतंग के धागे लोगों के लिए नुकसानदायक हैं, चीनी मांजे प्रतिबंधित होने के बाद भी उपयोग हो रहे हैं। लोगों के हाथ-पैर व गले पर लिपट जाते हैं फिर मल्हमपट्टी, घाव-टांकें ईलाज कराओ, यदि घबराहट में वाहन से गिर जाओ तो अलग तकलीफ होती है। इसलिए पुलिस -प्रशासन मुस्तैद रहे। लोगों को सावधान करें। पतंग महोत्सव सुरक्षित चलाने व लोगों को दुर्घटना से बचाने हेतु तत्पर रहें।
चाइनीज मांजे बेचने-खरीदने वालों को पकड़ें व जनता भी मकर संक्रांति के महापर्व पर अगले दो दिनों तक अपनी बाइक पर बच्चों को आगे नहीं बिठाए और अपनी बाईक गाड़ी को धीरे चलाएं। पतंग एवं चाइनीज मांझा,धागा (डोरी) से सावधान और बच कर रहें। हेलमेट जरूर लगाएं या गले में मफलर बांधें, जिससे कोई पतंग की डोर गले को काट नहीं सकें। और दुर्घटना से बचा जा सकें। नहीं तो सावधानी हटी कि दुर्घटना घटी।
- मदन वर्मा " माणिक "
इंदौर, मध्यप्रदेश