आसमान में..

"अपने-अपने आसमान" को

तलाशती हुई पतंगों को ,

एक दिन 

आसमान से मिलकर

"आसमान" होना ही था ,

हां , आसमान होना ही था !!


अपने-अपने आसमान को 

तलाशती पतंगें

कब में हो जाती हैं आसमान

डोर से छूटने पर भी,

पता ही न चला !!


कहीं.. यही तो नही मिलन

आसमान का आसमान से

अनाम,, अज्ञात,,निशब्द,,अनकहा सा !!


नमिता गुप्ता "मनसी"

मेरठ, उत्तर प्रदेश