पतंग उड़ा रहे हो...।

पतंगें उड़ा रहे हो,

क्या निठल्ले बैठे हो

कोई काम नहीं हैं,

कट रही बार-बार

तुम्हारी पतंग लगता,

मांझें में दम नहीं, तभी तो

ढंग से कहां उड़ा पा रहे,

सुनो इसकी रियाज भी

जरूरी है, किसी उस्ताद

से सीख लो हुनर और

कलाबाजी इसकी,

वरना आता नहीं तो

मैदान छोड़ दो, तुम्हारे

लिए पतंग उड़ाना समस्या

हैं तो मेरा बताया हुआ

समाधान का रास्ता चुन लो,

ना कटेगी ना गिरेगी, तुम

फिर पतंग उड़ाना शान से

तुम्हारी पतंग बातें करेगी,

आसमान से ...!


- मदन वर्मा " माणिक "

  इंदौर , मध्यप्रदेश

मो. 6254366070