सामुदायिक प्रयासों के बिना स्वच्छ भारत की कल्पना अधूरी, कचरा प्रबंधन हेतु सभी को होना चाहिए जागरूक

आज हमारा देश कई क्षेत्रों में प्रगत हो चुका है, शिक्षा, स्वास्थ एवं रोजगारपरक कौशल को आगे बढ़ाने के लिए देश में कई प्रयास किये जा रहे है, इन प्रयासों से देश अपने शिखरतम स्तर पर पहुँचने में सफल हो चला है । देश में मध्यप्रदेश के इंदौर शहर को लगातार छठी बार देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है, ये सब इस शहर के बासियों की मदद एवं स्वच्छता के प्रति जागरूकता ने इस ख़िताब को अपने सिरमौर्य करने का अवशर प्रदान किया है । 

स्वच्छता में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों में पहला स्थान हासिल करना मध्यप्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है । इस शहर के लोगो के सहयोग एवं समर्थन से ये सब हो पाया । क्या अकेले सरकार उसके अमले इस चौनौती पूर्ण कार्य को अंजाम दे सकते है शायद बहुत कठिन होता परन्तु सभी के सहयोग से यह कार्य देश में छटी बार अपने शहर को स्वच्छ बनाने में सफल हो पाए है यह अपने आप में गर्व करने वाली बात जिससे सभी को प्रेरणा लेने की आवश्यकता है । राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने स्वच्छता के लिए देशवासियों का आह्वान किया था। 

उन्होंने कहा था कि जब तक हम अपने शहरों की हालत नहीं बदलते, अपनी बुरी आदतों को नहीं छोड़ते, अपने शौचालयों को नहीं सुधारते, तब तक हमारे लिए स्वराज्य का मूल्य कुछ भी नहीं है। ऐसे में स्वच्छ सर्वेक्षण राज्यों और शहरों के बीच स्वच्छता के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे रहा है। इस वर्ष के सर्वेक्षण में 4 हजार से अधिक शहरों में लगभग नौ करोड़ लोगों ने भाग लिया है। ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की सफलता के पीछे पिछले आठ वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों और सभी नागरिकों के निरंतर प्रयास हैं। इस सफलता को हासिल करने में देश के सफाई मित्रों ने सबसे अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान भी स्वच्छता बनाए रखने के लिए लगातार काम किया।

वही दूसरे पहलुओं पर विचार करें तो ये नजारा बेहद दुखदाई करने वाला है । जब कभी त्यौहार, पर्व या जश्न का मौका होता है लोग इस जश्न के लिए बड़ी-बड़ी तैयारी करते नजर आ जायेंगे परन्तु इस तैयारी के बाद उससे निकने वाला कचरा देंखें तो आपको सड़कों के इधर-उधर फैला एवं उड़ता नजर आता है । हाल ही में बड़े-बड़े पर्व को लोगो ने बहुत मजे से मनाया,प्लास्टिक के डिस्पोजल गिलास में खूब सरबद, पानी पीये, लोगो के लिए प्लास्टिक एवं कागज की प्लेट में भोजन खिलाया गया, लोगो ने खूब चटकारे लगाकर अपनी पेट पूजा की एवं इस डिस्पोजल कचरे को वही फेक कर चले गए । 

उन्हें क्या करना इस कचरे से दूसरो को क्या नुकसान होने वाला है । खाने-पीने वाले आयोजन के बाद इस जगह को आप देखंगे तो आपको यहाँ कुडादान जैसा माहोल देखने के लिए मिल जाएगा । अरे कहाँ गया हमारा सम्मान, देश के प्रति इज्जत करने की भावना? क्या हमारा ये नैतिक कर्तव्य नहीं कि हमारे आसपास को अपने घर की भांति साफ-सफाई रखे और सफाई रखने में लोगो की मदद करे । आम बाजारों में देखा जा सकता है बाजार ख़त्म होने के बाद दुकानदान अपना कचरा ऐसे छोड़ कर जाते है जैसे यह उनका जन्मसिद्ध अधिकार है, इसे साफ़ करने के लिए सरकार है न उन्हें क्या यह तो उसका पैसा देकर गंदगी करने सर्टिफिकेट ले रखा हो। मेरे ऐसे भाई एक बार मध्यप्रदेश के इंदौर शहर जाकर वहाँ का कचरा प्रबंधन एवं उसका निपटान का तरीका अवश्य देख कर आंये बड़ा सुखद अनुभव मिलेगा ।

सफाई के नाम पर कई आयोजन एवं अभियान चलाये जाते है, मेरे सफाई पसंद दोस्तों की टोली निकल पड़ती है सफाई की ड्रेस एवं स्वछता अभियान की टोपी लगाकर सफाई करने परन्तु मेरे सम्माननीय भाईयों वास्तव में जहाँ सफाई की अवश्यकता है इस जगह को अक्सर नजरअंदाज कर देते है और जहाँ कम पहले से ही कुछ सफाई है ऐसे स्थान की सफाई में जुट जाते है, और फिर चलता है फोटो खिचवाने का दौर हाथ में सफाई का सामान लिए सफाई करते । 

सोशल मीडिया और अखबारों में फोटो सहित नाम बड़ा देखकर सफाई पसंद के रूप में बहावाही लेना । अच्छा भी है, अच्छे काम के लिए श्रेय मिलना भी चाहिए परन्तु वास्तवित रूप से सभी को संकल्पित होने की आवश्यकता है कि हम स्वयं सफाई के महत्व को समझे और औरो को भी समझाए । व्यक्तिगत स्वच्छता व्यक्ति के विकास में मदद करती है, उन्हें स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करती है और सामाजिक एवं व्यक्तिगत स्तर पर उच्चतम स्तर के चरित्र और गुणों का निर्माण करती है। यह व्यक्ति की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

भारत के गांवों, कस्बों और शहरों में सफाई बढ़े और गंदगी कम हो, इससे भला किसे आपत्ति हो सकती है? यदि ऐसा हो जाए तो भारत की कायापलट हो जाएगी । लेकिन सवाल यह है कि एक सुंदर सपना देखने के बाद क्या केवल उसका प्रचार करना ही पर्याप्त है। इस बात को समझना होगा। नगर निगम, नगर पंचायत, ग्राम पंचायत जैसी संस्थाओं के कर्मचारियों का भरपूर साथ देने की जरूरत है । हमें अपने आप को जगाने की जरुरत है कि हम अपने आस पास की सफाई में मन से मदद करे एवं लोगो को भी जागरूक करें । तभी बनेगा हमारा स्वच्छ देश- स्वच्छ भारत ।

यह लेखक के व्यक्तिगत विचार है ।

लेखक

श्याम कुमार कोलारे

सामाजिक कार्यकर्त्ता, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)

mob. 9893573770

shyamko।are@gmai।.com