देखे थे सपने कई

देखे थे इन आँखों ने सपने कई,

तोड़ने वाले भी निकले अपने कई।


जाने क्या किस्मत में मेरे है लिखा,

जलता है दिल आते हैं हँसने कई।


बैरन ये संसार है झूठे हैं सभी,

दोस्त बनकर आते हैं डंसने कई।


शिकवा ना है अब ना कोई भी गिला,

जब रुसवा करने आये अपने कई।


आशा ना अब रखना तुम 'संवेदना',

टूटे दिल में ना आते बसने कई।


डॉ. रीमा सिन्हा