बड़ा अजीब है न तू ,
उदासियों में भी मुस्कराया सा लगे !!
भले ही भीड़ में है..भीड़ सा
तेरा कुछ तो जाना-पहचाना सा लगे !!
दीवाने यूं तो देखें हैं बहुत
तेरा तो हर एक हर्फ दीवाना सा लगे !!
औरों की क्या कहूं-क्या सुनूं
तेरा तो अनकहा भी हमारा सा लगे !!
मनाया होगा तूने भी किसीको जरूर
नाराज़ है अगर तू..तो भी नाराज़ न लगे !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ, उत्तर प्रदेश