‘दूर’ ‘दर्शन’

मेरा घर जहाँ पड़ता है वहीं से कुछ दूरी पर बुल्डोजर खड़ा रहता है। है तो मेरे मित्र का लेकिन आए दिन किसी न किसी की छाती पर चढ़ा रहता है। मौसमी फल-तरकारी की तरह मित्र ने मौसमी शिगूफ़ा खरीद लिया। जमीन का एक टुकड़ा बेचकर बुल्डोजर खरीदने का यह फायदा हुआ कि अब वह टुकड़ों में नहीं पूरी की पूरी जमीन खरीद रहा है। इतना लाभ तो उसे आंगन में मर्सिडिज़ रखकर भी नहीं हुआ। बुल्डोजर के दाँत आए दिन किसी न किसी पर गड़े रहते हैं। जिस पर गड़े रहते हैं वे वहीं के वहीं पड़े रहते हैं। पड़ने और गड़ने से अडने वाले के लिए सड़ने का खतरा कम हो जाता है।

इसी बुल्डोजर के चलते मेरी चाल-ढाल बदल गयी है। पहले मुशायरे में जाता था अब कवि सम्मेलनों में जाता हूँ। कभी शम्मा-परवाने पर शायरी लिख-पढ़कर बोल देता था अब गोपी-गोपिकाओं का आह्वान कर रहा हूँ। ऐसा करने से मैं धर्म की पंचाट से बच जाता हूँ। जब से मैं स्मार्ट हुआ हूँ तब से देशभक्ति का नेटवर्क बराबर पकड़े रहता हूँ। मौके-बेमौके वाट्सप की डीपी बदल लेता हूँ। घर पर झंडा फहरा देता हूँ।

 अब तो देशभक्त बनने में मैगी बनाने से भी कम वक्त लगता है। चीजों के दाम बढ़ना और उसे सहना आजकल देशभक्ति की नई पहचान बन गई है। ऐसी देशभक्ति दिखाए बिना इस सरजमीं पर जीना मतलब जीते जी देशद्रोही कहलाने से कम नहीं है। जो हो रहा है उसे चुपचाप सह जाइए। आवाज उठाने का मतलब घर पर बुल्डोजर बाबा का आह्वान करना है। देवी-देवता जब प्रसन्न होंगे तब होंगे, कहीं बुल्डोजर बाबा प्रसन्न हो गए तो समझिए खैर नहीं।

मैं पहले टैक्स की चोरी बहुत करता था। अब भी करता हूँ। लेकिन यह दुनिया मेरी सोच भी ज्यादा गोल है। बुल्डोजर का ईजाद जहाँ कहीं भी हुआ हो लेकिन इसका सच्चे अर्थों में उपयोग तो यहीं हो रहा है। बुल्डोजर संस्कृति को आभास हो गया था कि टैक्स चुराने वाले कुत्ते की दुम की तरह होते हैं। 

इसलिए जीएसटी का बुल्डोजर बाजार में छोड़ दिया गया। अब हम हर चीज में जीएसटी बुल्डोजर को खुद पर चलने के लिए आमंत्रित करते हैं। जो टैक्स चुरा-चुराकर बचाया करते थे उसे अब खुल्लम खुल्ला जीएसटी बुल्डोजर बाबा के चरणों में भेंट चढ़ा रहे हैं। बुल्डोजर बाबा की माया ही गजब है। जो जैसा देखते हैं उसे वैसा ही दिखते हैं। कुछ के लिए ‘एनडीटीवी’ की तरह तो कुछ के लिए ‘आज तक’ जैसा दिखते हैं। भलाई इसी में है कि बुल्डोजर बाबा को ‘दूर’ ‘दर्शन’ की तरह देखिए। सब कुछ अच्छा-अच्छा दिखेगा। अच्छे दिन आपके आस-पास ही रहेंगे।

डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’, मो. नं. 73 8657 8657