खुद का ख्याल भी जरूरी

किसी भी घर और परिवार की गृहणी उस घर की धुरी होती है। पूरे परिवार की छोटी से लेकर बड़ी जरूरत, सब के खाने -सोने पहनने का ख्याल रखना पड़ता है गृहणी एक तरह से घर की गूगल होती है जिसे घर में क्या कहां है! कैसे हैं !!सब पता होता है और परिवार का हर सदस्य अपनी रोजमर्रा की छोटी-छोटी जरूरत के लिए गृहणी  पर निर्भर होता है। और गृहिणी भी पूरे मनोयोग से सबका ख्याल रखती है तथा पूरे परिवार का कुशलतापूर्वक संचालन करती है।

पर सबका ध्यान रखने के चक्कर में अक्सर गृहणी अपना ध्यान नहीं रख पाती हैं जो उनके शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है क्योंकि यदि घर की गृहणी स्वस्थ नहीं है तो वह परिवार के स्वास्थ्य का उनकी जरूरतों का कैसे ध्यान रख पाएगी पर अधिकांश महिलाओं में यह आदत देखी जाती है जितनी सतर्कता से वह अपने परिवार का ध्यान रखती हैं उतना स्वयं का नहीं रख पाती हैं वह स्वयं  की जरूरतों को सबसे आखिर में स्थान देती हैं पर उन्हें समझना चाहिए कि उन्हें भी एक ही जिंदगी मिली है, जिम्मेदार होना बहुत अच्छी बात है पर स्वयं को नजरअंदाज करना उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। और उनके परिवार के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा नहीं है और जैसे-जैसे उम्र बढ़ेगी.. उनके लिए यह नजरअंदाजी भारी पड़ती जाएगी।

यदि घर मे पुरुष और महिला दोनों कामकाजी हैं और कार्य की अधिकता है तो वह  घर के बच्चों और पुरुषों से छोटे-छोटे कामों में हेल्प लेकर घर के कार्य को व्यवस्थित और सुनियोजित  रूप से कर सकती है और अपने लिए समय निकाल सकती है इस तरह बच्चों में भी आत्मनिर्भरता की भावना आएगी। और बचे हुए समय में वह अपने आप को फिट रखने के लिए अपने शौक पूरे कर सकती है अपने ऊपर ध्यान दे सकती है।

रेखा शाह आरबी

 बलिया (यूपी)