जिसके उपरान्त यह बात समझ मे आई है कि सरयू नदी का अस्तित्व तभी बच सकता है जब कटी बांध पर बैराज बनाकर घाघरा नदी से पानी छोड़ने की व्यवस्था की जाय। श्री सिंह ने कहा कि बहुत पहले जब कटी बांध नही बंधा था तब सरयू नदी में घाघरा नदी से पानी आता था, जिससे क्षेत्र में बाढ़ आ जाती थी। जिसे रोकने के लिये बांध बनाया गया था। बाढ़ से तो जनता को निजात मिल गई लेकिन सरयू नदी का अस्तित्व खतरे पड़ गया। साथ ही बरसात के समय घाघरा नदी में पानी का दबाव काफी बढ़ने लगा।
जिससे घाघरा नदी के आसपास बाढ़ का दायरा बढ़ गया। उन्होंने कहा कटी बांध की जगह यदि बैराज बनाया गया होता तो कोई समस्या नही होती। बैराज से पानी छोड़ने पर सरयू नदी की सफाई होती रहती वहीं बरसात के समय घाघरा नदी के क्षेत्र में पानी का दबाव भी न बढ़ता। उन्होंने कहा कि कई संस्थाएं अनवरत सरयू नदी स्वच्छता अभियान चला रही है। मगर सरयू नदी में बिना पानी छोड़े सरयू नदी की सफाई सम्भव नही है। उन्होंने सभी संस्थाओं के साथ क्षेत्र की जनता से कटी पर बैराज बनाने के लिये प्रयास करने की अपील की है।