शहीद ए आज़म

शेर सी दहाड़ थी जिनकी,

शोणित में था हिंदुस्तान,

थे वह हमारे शहीद ए आज़म,

आओ सुनाऊँ उनकी दास्तान।


शब्दों में तो बयां न कर पाऊं,

बस श्रध्दा से शीश नवाऊँ।

अंग्रेजी हुकूमत को डराया,

उनको यहाँ से मार भगाया।

हुंकार से आपके थर्राये फिरंगी,

8अप्रैल1929,असेंबली में फेंका बम,

आप थे आज़ादी और क्रांति के संगी।

छोटी सी उम्र में फाँसी मिली,

भगत,सुखदेव,राजगुरु जी

आपके त्याग और बलिदान से

हमें जन्नत-ए-आज़ादी मिली।


नमन है भारत के वीर सपूतों,

तुम सा न कोई बलिदानी है,

तुमसे है हिंदुस्तान हमारा,

तुमसे हमारी कहानी है।


               रीमा सिन्हा

         लखनऊ-उत्तर प्रदेश