जिंदगी...!

खोने को कुछ भी नहीं!

पाने को कुछ भी नहीं..

उड़ जाऊँगी एक दिन...

तस्वीर से रंगो की तरह!

बैठी हूँ वक्त की टहनी पर

परिन्दों की तरह उड़ जाने को

उड़ जाऊँगी एक दिन!

परिन्दें की तरह फिर से

खटखटाते रहिए दरवाजा

एक दूसरे के मन का...!

मुलाकात ना सही....

आहटें आती रहनी चाहिए।

ना कोई राज है जिंदगी में

ना कोई नाराज है जिंदगी में

बस जो भी है वो आज है...जिंदगी में!


परिचय - रूप चेजारा

मुकुंदगढ़,झुंझुनूं राज.