नित्य अर्चना करूँ तुम्हारी,
माँ दुर्गे! माँ दुर्गे।
मुझमें इतनीं शक्ति भर दो,
माँ दुर्गे! माँ दुर्गे।
मंगल घट स्थापित करके,
माला पुष्प चढ़ाऊँ।
अक्षत,धूप-दीप,नव पल्लव,
मिश्री भोग लगाऊँ।
जपूँ निरन्तर नाप तुम्हारा,
माँ दुर्गे! माँ दुर्गे।
जीवन सुखमय बनें विश्व का,
पावन प्रेम पगे।
निशि दिन बरसे कृपा तुम्हारी।
जगमग ज्योति जगे।
सघन साधना करूँ तुम्हारी,
माँ दुर्गे ! माँ दुर्गे।
जीवन में अनुरक्ति भर दो,
माँ दुर्गे! माँ दुर्गे !
प्रवीणा दीक्षित,वरिष्ठ कवयित्री
व शिक्षिका,कासगंज-उत्तर प्रदेश