अ – अमली लाटा मनखे खाये।
मुॅंह कोती ले लार बहाये।।
आ – सबो चाय मा डारॅंय आदा ।
कब्ज रोग जब होवय जादा।।
इ – इलायची हे बड़ गुणकारी।
खा लव जब मुॅंह महके भारी ।।
ई– ईख चुहक के सब झन खावव।
पेट रोग ला दूर भगावव।।
उ– उड़द दार के बने बिजोरी।
गोल–गोल अउ चिक्कन गोरी।।
ऊ– खान–पान ले मिलथे ऊर्जा।
रहिथे पोठ देह के पुर्जा।।
ए– एलोवीरा लगा चाम मा।
घूम आव सब तेज घाम मा।।
ऐ– ऐनक ऑंखी मा लग जाथे।
देखे मा जब धुॅंधरा पाथे।।
ओ– मीठ ओखरा घलो नॅंदागे।
सुग्घर गुरतुर जे हा लागे।।
औ– औंरा हावय बड़ उपयोगी।
खा के राहत पावय रोगी।।
अं – अंगाकर हा गजब मिठाथे।
संग टमाटर चटनी भाथे।।
अः – आखर के पाछू मा रहिथे।
शब्द भार ला येहर सहिथे।।
रचनाकार
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
Priyadewangan1997@gmail.com