कितनी पीड़ा कितनी वेदना सह जाती होगी,
माँ, तुम्हें भी तो अपने मायके की याद आती होगी।
हमने बस तुझमें अपना संबल ढूँढा,
तुम्हारे दिल में क्या है यह कभी न पूछा,
तुम्हारी मुख की हँसी को सदा ही देखा,
पर दिल में छुपी भावना को किया अनदेखा।
तुम माँ बन गयी पर बेटी भी तो थी किसी की,
हर एहसास कर दफन, आँसूओं को छुपाती होगी,
माँ,तुम्हें भी तो अपने मायके की याद आती होगी...
तुम्हारे जाने के बाद, बात यह समझ पायी मैं
माँ बनकर भी माँ की ज़रूरत होती है यह समझ पायी मैं
देख सावन में काली घटायें झूले,सखियाँ, मेंहदी
बारिश में भीगना फिर माँ की स्नेहिल झिड़की,
माँ का आँचल से भीगे केश पोंछना, गर्म चाय की चुस्की,
मृदु स्मृति की करतल पर तुम्हारी भी छाती होगी
माँ, तुम्हें भी तो अपने मायके की याद आती होगी...
डॉ0 रीमा सिन्हा (लखनऊ)