एग्जाम के कारण उड़ गई है रातों की नींद तो इन आदतों से करें परहेज

फरवरी और मार्च का महीना स्टूडेंट्स के लिए कई मायनों में खास रहता है। यह महीना परीक्षाओं का होता है, जो बच्चों के लिए अहम होने के साथ ही काफी स्ट्रेसफुल भी होता है। अक्सर परीक्षा की चिंता बच्चों को तनाव का शिकार बना देती है। साथ ही कोर्स पूरा करने के चक्कर में स्टूडेंट्स को अक्सर एंग्जायटी भी होने लगती है। ऐसे में जरूरी है कि एग्जाम के दौरान इन समस्याओं से दूर रहकर आराम से पढ़ाई पर फोकस किया जाए।

मानसिक रूप से स्वस्थ बने रहने के लिए हेल्दी डाइट और अच्छी नींद बेहद जरूरी है। हालांकि, कई बार एग्जाम स्ट्रेस की वजह से बच्चों की नींद खराब होने लगती है, जिससे उनके परफॉर्मेंस पर असर पड़ने लगता है। अक्सर सोने से पहले की कुछ आदतें नींद खराब करने में योगदान देती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम बताएंगे कुछ ऐसी आदतों के बारे में, जिन्हें सोने से पहले करने से स्टूडेंट्स को बचना चाहिए।

हैवी डिनर करने से बचें

अपने फोकस को बढ़ाने और एनर्जी से भरपूर रहने के लिए एक अच्छी नींद जरूरी है। हालांकि, अक्सर रात में भारी भोजन करने की वजह से नींद बाधित होती है। ऐसे में असुविधा और अपच को रोकने और ज्यादा आरामदायक नींद को बढ़ावा देने के लिए सोने से पहले भारी या मसालेदार भोजन खाने से बचें।

कैफीन युक्त पदार्थों से परहेज

अक्सर रात में देर तक पढ़ाई करने के लिए बच्चे कैफीन युक्त पेय या स्टीमूलेंट्स का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, रात में सोने से पहले इस तरह की ड्रिंक्स का सेवन करने से आपकी स्पील साइकिल बाधित हो सकती है।

स्क्रीन टाइम से बचें

रात के समय मोबाइल आदि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल भी आपकी नींद की गुणवत्ता को खराब कर सकता है। स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट आपकी नींद में बाधा डाल सकती है। ऐसे में बेहतर नींद के लिए सोने से कम से कम एक घंटे पहले स्क्रीन के संपर्क में आने से बचें।

तनावपूर्ण गतिविधियां न करें

अगर आप सुकून की नींद पाना चाहते हैं, तो सोने से पहले किसी भी तरह की तनावपूर्ण या मानसिक रूप से उत्तेजक गतिविधियों को करने से परहेज करें। ऐसी गतिविधियां आपको अच्छी नींद लेने से रोक सकती है। ऐसे में अच्छी नींद और तनावमुक्त होने के लिए शांत करने वाली गतिविधियों को चुनें।

हैवी एक्सरसाइज न करें

सोते समय किसी भी तरह की हैवी एक्सरसाइज करने से बचें, क्योंकि यह हार्ट बीट रेट और शरीर के तापमान दोनों को बढ़ा सकता है, जिससे शरीर की नेचुरल वाइंड-डाउन प्रोसेस में बाधा उत्पन्न हो सकती है।