ले लो तरह तरह के झुनझुने

 एक ऑटो रिक्शा पर तरह-तरह के डब्बे लिए रिकॉर्डेड आवाज में एक आदमी चिल्ला रहा था “झुनझुने ले लो झुनझुने। तरह-तरह के झुनझुने हर उम्र के हर वर्ग के हर तरह के लोगों के लिए अलग-अलग झुनझुने ले लो।”

मैंने सोचा इस इलेक्ट्रॉनिक युग में डिजिटलाइजेशन के जमाने में झुनझुने कौन खरीदता होगा? फिर मैं उसे ऑटो के पास जाकर उससे पूछा “भाई आजकल के जमाने में झुनझुने लेता कौन है?” 

“बाबूजी आप कहां हैं? यह तो झुनझुनों का ही जमाना है। बच्चों को स्कूल भेजना हो तो कोई सरप्राइज गिफ्ट का झुनझुना बजा दें, बस काम हो गया। अगर कोई जवान लड़का कॉलेज बंक मार रहा हो तो उसे जल्दी ही मोटरसाइकिल खरीद देने के वादे का झुनझुना बजा दें तो वह ईमानदारी से कॉलेज जाने की कोशिश करेगा। कोई जवान लड़की है और देर रात तक घूमती है उसे किसी रईसजादे से शादी का झुनझुना ढंग से बजा दें तो उसकी यह आदत छूट जाती है। बहुत छोटे बच्चे तो आवाज करते छोटे-छोटे झुनझुनों से बहल जाते हैं लेकिन जो बड़े लोग हैं, अलग-अलग वर्ग के लोग हैं, उनके लिए अलग-अलग तरीके का झुनझुना बजाना होता है। 

“अब दफ्तर में प्रमोशन न मिलने के डिप्रेशन में कर्मचारी है तो उसे ओवर टाइम का, समय पर घर जाने का, मांगने पर छुट्टी देने का बड़ा झुनझुना बजा दें तो देखिए काम किस तरह अप टू डेट रहता है। वह प्रमोशन की बात भूलकर काम में लग जाएगा। अगले साल देखा जाएगा कि क्या किया जाए? अपने से उच्च अधिकारी के लिए चुगली और चापलूसी का झुनझुना लगातार बजाते रहना चाहिए ताकि अपना काम समय पर निकलता रहे। यह तो रहे रही दफ़्तर की बात।

“अब घर की बात करें तो इसके लिए तरह-तरह के झुनझुने पति और पत्नी के लिए अलग-अलग हम बेचते हैं। अगर पत्नी को शॉपिंग के लिए अपने पति को मनाना है तो उसके लिए उनकी पसंद के व्यंजन, समय पर चाय और बाहर जाने की और देर रात लौटने की इजाजत नामक झुनझुना  बड़ा  काम करता है। पति अगर चाहता है कि उसका जीवन शांतिमय और सुखी रहे तो उसके लिए मौन धारण और बीवी की चापलूसी का प्रभावी झुनझुना हम बेचते हैं।”

“यह तो रही दफ्तर और परिवार की बात, लेकिन अगर किसी को देश की जनता को अपने पक्ष में करना हो तो क्या किया जाना चाहिए?”

“सिंपल है। वैसे भी नेतागण चुनाव के समय करते क्या हैं? हमसे ज्यादा झुनझुने तो उनके पास हैं। चुनाव के समय दिए जाने वाले आश्वासन झुनझुनों के अलावा हैं क्या? हम आपका जीवन सुधार देंगे। महंगाई कम करेंगे। सभी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराएंगे। आपका कल्याण हमारा उद्देश्य है। हर गरीब को रोटी, कपड़ा और मकान मिलेगा।  पिछले कई वर्षों से यही आश्वासन झुनझुनों के रूप में बजाकर लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं और लोग बड़ी खूबी से बन रहे हैं। 

अब नए-नए झुनझुने भी आज के जमाने में धड़ल्ले से आ रहे हैं। जनता का ध्यान भटकाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी दखलअंदाजी दिखाई जा रही है जबकि अपने राष्ट्र में ही उससे बड़ी-बड़ी समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं। लोगों को रोजगार तो दूर रोजगार भत्ता दिए जाने के आश्वासन भी दिए जा रहे हैं। अकर्मण्यता  को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन मतदाता यह समझे इससे पहले उसके हाथों में रुपयों का झुनझुना, दारू और बिरयानी का झुनझुना थमा दिया जाता है और वह नीम बेहोशी की हालत में जिस किसी को भी वोट देता है, वह पाँच  साल के लिए उसे झुनझुने की तरह बजाता रहता है। 

इस बीच इसी तरह के एक और झुनझुना जनता के बीच बज रहा है जिसे हम महिला आरक्षण विधेयक या क्लासिक शब्दों में कहें तो महिला वंदन शक्ति कह सकते हैं। यही नहीं दूसरी पार्टी से लोगों को तोड़कर अपने पक्ष में करने के लिए भारत के सर्वोच्च पुरस्कारों को भी झुनझुने की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।”

डॉ0 टी0 महादेव राव  

विशाखापटनम (आंध्र प्रदेश)