रामसेतु (सीता खोज व राम सेतु निर्माण)

आया साधु  वेश कर धारण,

छल से लिया अपने साथ रावण।

रामप्रिया का जब हुआ हरण,

क्या केवल था हिरण  कारण ।

चिंताग्रस्त  थे  राम-लक्ष्मण,

यहाँ किसके हैं यह रजकण।

निकले ढूँढने कानन कानन ,

मिला मैया का पायल आभूषण।

कुछ तो मिटा हृदय का क्रंदन,

घूमते भाई पहुंचे दिशा दक्षिण।

वहां पर भेंट हुई थी हनुमान,

अशोक वाटिका में सीता रानी।

बताया जब हनुमान मुनी,

बिना रुके,जुट गई उसी क्षण।

लंका पर चढ़ाई हेतु वानर सेना,

पावन  कार्य  में दिया समपर्ण।

जटायों  ने भी दी अपने प्राण 

सीता माता को छुडाने उस क्षण I

रीछ,भालू,गिलहरी,हनुमान,

जुटे जामवंत,बाली,सुग्रीव की सेना।

सिंधु ने छुआ रघुवीर के चरण,

राम नाम लिख कर हर पाषाण।

समुद्र में बहाया सकारण,

 रामेश्वर में राम सेना का बंधन।

इस धरा पर अनन्य प्रेम का ऐसा है प्रमाण,

रामसेतु में दर्शन देते स्वयं राम भगवान।

अद्भुत अनूठा हुआ  र्निमाण,

रामसेतु में है, श्रीराम संपूर्णI


वर्षा शिकंशिका

कुवैत