“हम सब के दिलों में रहेगे शिक्षा के गाँधी “डॉ. जगदीश गाँधी”

समाज और लोगों के लिए यह अत्यंत दुःखद है की शिक्षा के गाँधी डॉ. जगदीश गाँधी अब इस दुनियां में नहीं रहें | निःसंदेह उनके अच्छे कर्मों की वजह से उन्हें श्री चरणों में स्थान मिला होगा इसमें कोई अतिश्योक्तीं नहीं है | अपने जीवन काल में उन्होंने लाखों बच्चों के जीवन को परिवर्तित कर वैश्विक ज्ञान की मुख्यधारा से उन्होंने जोड़ा है | आज उनके छात्र दुनियां के हर कोने में और सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर आपको दिखेगे | लखनऊ की पहचान अगर ऐतिहासिक स्थलों एवं प्रदेश की राजधानी होने के नाते रही है तो ठीक इसके विपरीत शिक्षाविद् डॉ. जगदीश गाँधी के शिक्षा के प्रति समर्पण और उपलब्धियों की वजह से भी एक अलग अमिट और प्रभावशाली छवि लखनऊ की दुनियां भर में इन्ही की वजह से बनी है | मै उन चुनिन्दा लोगों में से हूँ जिसे डॉ. गाँधी से मिलने का एक या दो नहीं बल्कि अनेकों बार अवसर मिला तथा मेरे कई कठिन प्रश्नों का भी वो  बेबाक तरीके से मुस्कुरातें हुए जबाब देते थे | शिक्षा के प्रति उनका तीव्र प्रेम उन्हें दुनियां की सबसे बड़ी खुशियों में से एक खुशी देता था | पर्यावरण के प्रति भी वो लगातार सक्रीय रहतें थे | 87 वर्ष की उम्र में भी विश्व एकता, सभी धर्मों को सामान भाव से आदर सम्मान देना अपने बच्चों को वह सिखाने में लगातार तल्लीन रहतें थे | नैतिकता का पाठ बच्चों को जितने सरल और प्रभावशाली ढंग से वो सिखातें थे मैंने आज तक किसी को भी उस तरह से सिखातें नहीं देखा | शिक्षा के प्रति उनका प्रेम सर्वविदित है |

डॉ. जगदीश गाँधी का जन्म 10 नवम्बर सन् 1936 को अलीगढ़ जिले की सिकन्दराराउ तहसील के ग्राम बरसौली में पटवारी श्री फूलचन्द अग्रवाल के घर में हुआ था | डॉ. गाँधी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी एवं विनोबा भावे से हृदयतल की गहराइयों से प्रभावी थे तथा प्रेरित होकर उन्होंने अपना उपनाम गाँधी रख लिया था | डा. जगदीश गाँधी 1969 से 1974 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य भी रहे तथा लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रसंध के अध्यक्ष भी रहें थे | समर्पण, त्याग और सहयोग की तीव्र भावना गाँधी जी में देखने को मिलती रही | कोई भी व्यक्ति किसी भी समस्या या सहयोग के लिए उनके पास जब भी जाता था वह निराश होकर नहीं लौटता था | उनकी सफलता का आकलन सिर्फ इसी तथ्य से किया जा सकता है की - वर्ष 1959 में पांच बच्चों से प्रारम्भ की कई शिक्षा की यात्रा आज 21 कैम्पसों के माध्यम से 61 हजार से अधिक बच्चों के विकास में कार्य कर रहा है | वर्ष 2001 में सीएमएस को विश्व के सबसे बड़े स्कूल के लिए गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड में शामिल किया गया था | 23 वर्ष व्यतीत हो जाने के पश्चात भी यह रिकॉर्ड उन्ही के संस्थान के नाम में आज भी विद्यमान है | गाँधी जी के नेतृत्व का ही प्रभाव है की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यूनेस्को द्वारा शांति शिक्षा पुरस्कार, डेरोजियो अवार्ड, वर्ल्डलॉन एक्सीलेन्स अवार्ड, आइसलैण्ड, वल्र्ड चिल्ड्रेन्स प्राइज फॉर द राइट्स ऑफ़ द चाइल्ड, स्वीडन, लाइफ लिंक कैम्पेन रिकगनीशन, स्वीडन, पीसफुल स्कूल्स इण्टरनेशनल रिकगनीशन, कनाडा, न्यूक्लियर फ्री फ्यूचर अवार्ड प्राप्त है | 

डॉ. जगदीश गाँधी की मृत्युं के उपरांत कई लोगों में इस बात की उत्सुकता जरुर होगी की अब इस संस्थान को कौन सम्हालेगा | ठीक यही प्रश्न कुछ महीने पूर्व एक कार्यक्रम में जब मैंने उनसे पूछा था तो उन्होंने बिना क्षण-भर विचार किये अपनी पुत्री प्रो. गीता गाँधी किंगडन का नाम लिया | प्रो. गीता गाँधी किंगडन में आधुनिक तकीनीकी ज्ञान और प्रशासनिक कौशल क्षमता की दक्षता है और विगत काफी समय से सीएमएस में अपना सक्रीय योगदान भी दे रही है | हाल ही में तकनीक की नवीनतम आवश्यकता रोबोटिक्स से भी इन्होने संस्थान को जोड़ा है |डॉ. जगदीश गाँधी विगत कई दशकों से न केवल शिक्षा और समाज में व्यापक बदलाव लाकर आम आदमी के जीवन में बड़ा परिवर्तन ला रहें है बल्कि अपने सरल, सौम्य एवं प्रभावशाली शब्दों से अपनी पहचान सभी के दिलों में अमर कर चुकें है | आज हजारों लोगों को रोजगार इस संसथान में प्राप्त है और कार्यरत लोग गाँधी जी के आदर्शो और मार्ग पर तल्लीनता के साथ शिक्षा के ज्ञान को विस्तारित करने में लगे है | एक ऐसी सख्सियत जिसने वैश्विक ज्ञान से लखनऊ का परिचय उन बच्चो में कराया जो परम्परागत शिक्षा के बाहर शायद ही सोच सकतें | आज डॉ. जगदीश गाँधी भलें ही हम सब के बीच नहीं है पर उनके आदर्श, उनके द्वारा वैश्विक परिवार की सकारात्मक कल्पना, सभी धर्मों के प्रति सम भावना, उच्चतम दर्जें की शिक्षा सभी तक पहुचाने का कठिन परिश्रम, बेहद सरल जीवन, दूसरों के लिए जीने की प्रेरणा अनंतकाल तक इस समाज को देता रहेगा | जीवन का अंतिम सत्य सभी के लिए मृत्यु ही है पर इस यात्रा में अनेकों उपलब्धियां और सम्मान किसी के जीवन में बदलाव लाकर पाने वाले व्यक्तित्व डॉ. जगदीश गाँधी उन चुनिन्दा लोगों में से है जो मृत्यु को नहीं बल्कि एक ऐसी यात्रा पर है जो पुनः जन्म लेकर एक बड़ा बदलाव सभी के जीवन में पुनः ला सकें |  

डॉ0 अजय कुमार मिश्रा

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