बॉलीवुड बनाम साउथ की बहस पर अमिताभ बच्चन ने कहा, “वे सिर्फ ड्रेसिंग बदलते हैं”

कोविड-19 के दौरान, बॉलीवुड बनाम साउथ के बारे में एक बहस छिड़ गई जब ’83, एन एक्शन हीरो, लाल सिंह चड्ढा और अन्य जैसी बॉलीवुड फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कुछ ज्यादा कमाल नहीं कर पा रही थी लेकिन साउथ की पुष्पा, कंतारा और केजीएफ 2 जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर तूफान कमाई कर रही थी। 

जिसके बाद बॉलीवुड और साउथ को लेकर एक बहस छिड़ गई और सब इसपर अपनी राय देने लगे। लेकिन अब दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन ने दोनों इंडस्ट्री के बीच छिड़ी बहस पर कहा कि दोनों के बीच तुलना सही नहीं है। बता दें, बॉलीवुड शंहशाह अमिताभ बच्चन हाल ही में पुणे में स्थित सिम्बायोसिस फिल्म फेस्टिवल के एक प्रोग्राम में शामिल हुए थे, जहां उनसे बढ़ती साउथ फिल्म इंडस्ट्री के बारे में पूछा गया। उसी पर प्रतिक्रिया देते हुए मेगास्टार ने कहा कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को अक्सर किसी भी बदलाव के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि साउथ सिर्फ हिंदी फिल्मों का रीमेक बना रहा है। 

क्योंकि वे सिर्फ कपड़े बदलते हैं। वहीं, मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने मलयालम और तमिल फिल्मों की सराहना की। हालांकि बिग बी को लगता है कि साउथ सिनेमा और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बीच तुलना करना गलत है। उन्होंने इवेंट में कहा, ‘रीजनल सिनेमा बहुत अच्छा कर रहा है। लेकिन जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि वे उसी तरह की फिल्में बना रहे हैं जैसी हम हिंदी में बनाते हैं। वे सिर्फ अपना पहनावा बदलते हैं ताकि वे खूबसूरत दिखें’। 

आगे वह कहते है कि जिन लोगों से मैं मिला उनमें से कई ने कहा, ‘हम आपकी पुरानी फिल्मों का रीमेक बना रहे हैं, हमारी सभी कहानियों में कहीं न कहीं ‘दीवार’, ‘शक्ति’ और ‘शोले’ हैं। मलयालम और कुछ तमिल सिनेमा अच्छी हैं, इसमे कोई शक नहीं लेकिन किसी विशेष फील्ड पर उंगली उठाने और ये कहना कि उनकी अच्छी चल रही है, हमारी नहीं३ तो ये सही नहीं है’। 

वहीं, एक पुरानी कहावत को याद करते हुए, अमिताभ बच्चन ने चुटकी ली, “हम सचेत थे कि हमें अपने पहले टेक में इसे सही करना होगा क्योंकि आपको दूसरा मौका नहीं मिल रहा है क्योंकि इसका मतलब है अधिक फिल्म बर्बाद करना, और निर्माता और निर्देशक कभी इसकी अनुमति नहीं देंगे। अब चिप के साथ यह फायदेमंद है। 

आप लगभग 20-30 रीटेक कर रहे हैं, आज इसलिए नहीं कि आप बुरे थे बल्कि एक्स कैमरा सही नहीं हुआ। कभी-कभी, यह एक निर्देशक के लिए फायदेमंद होता है”। आगे वह कहते है, “कभी-कभी मुझे लगता है और मुझे यकीन है कि मेरी पीढ़ी के लोग भी ऐसा ही महसूस करते हैं, मैं एक ही चीज को दोबारा दोहराते नहीं रह सकता। कई बार आधुनिक पीढ़ी कहती है कि आप इसे पहले ही सही कैसे समझ लेते हैं? मैंने कहा कि इसके पीछे एक लंबा इतिहास है। आपको खुद को बेहतर बनाने का मौका मिल रहा है, हमारे पास वह कभी नहीं था”।