कहां तक कोई दे गुजारा मुझे...

जश्न ए अवध कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में कविता एवं शायरी से बंधी समां

लखनऊ। उर्दू एकेडमी में जश्न-ए-अवध, कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का आयोजन बड़े सलीके से हुआ। जश्न-ए-अवध में कवियों एवं शायरों ने स्वनिर्मित रचनाएं एवं नज्में, गजल, शायरियां सुनाई। साथ ही बीच-बीच में हास्य के ठहाके भी लगे। हास्य कवि सौरभ जायसवाल अपनी कविता से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। वैसे हँसी इस दौर में इतनी सस्ती भी नही है। 

शुक्र इतना है हंसने पर जीएसटी नही है। कवि पवन प्रगीत जी ने अपने गीत से सबका मन मोह लिया। मन कबीरा को पढ़के जाना है, एक हीरा  को पढ़के जाना है, प्यार तो त्याग तप समर्पण है, हमने मीरा को  पढ़के जाना है। जाने-माने गीतकार रामायण धर द्विवेदी ने पढ़ा-किस तरह पेड़ फूलें-फलें जब जड़ें डालियों से जलें। विशिष्ट अतिथि नेहा वर्तिका ने लखनऊ की ख़ुशबू को स्विट्जरलैंड में फैला रही हैं गीत पढ़कर सबका मन मोह लिया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जाने माने शायर हर्षित मिश्रा ने पढ़ा-मैंने उसको जितना जाना उतनी हैरानी बढ़ी। कार्यक्रम का संचालन कर रहे रवींद्र अजनबी ने पढ़ा कि-मेरी मिट्टी मेरी चाहत मेरी पहचान की ख़ुशबू, मेरे हर शेर से निकलेगी हिंदुस्तान की ख़ुशबू। कार्यक्रम के संयोजक अनूप प्रतापगढ़ी ने पढ़ा-कमाना पड़ेगा यहाँ एक हुनर कहाँ तक कोई दे गुज़ारा मुझे, पढ़कर खूब वाहवाही लूटी। इस मौके पर समाजसेवी बृजेन्द्र सिंह राणा, रोहित सिंह, सौरभ श्रीवास्तव, राजीव सोनी, निधि श्रीवास्तव भी मौजूद रहे।