भारत का परचम लहरेगा

 है रीत यही मेरे देश की प्रीत सभी से रखते है,

विश्व बंधुत्व और अमन के साथ आगे बढ़ते हैं।

दिलो को जीत लेती हैं बोली प्यार भरी सबकी,

राम बसे हर नर में यहां नारी में बसती जानकी।


इरादों से अपने आज हमने कदम चांद पर रखा है,

छू लेंगे एक एक तारे को हम इरादा अपना पक्का है।

राम राज्य की गरिमा को पूरे देश मे हम फैलाएंगे।

विश्व गुरु बनेगा भारत हम गगन में तिरंगा लहराएंगे।


लिखेंगे नई बुनियाद विश्व में अपना परचम लहरेगा,

भारत कम नहीं है किसी से हर कोई एक दिन बोलेगा।

उन्नति की मिशालों को हम जड़ जड़ तक ले जायेंगे,

मानेगा लोहा हर कोई अपना ऐसी अलख जगाएंगे।


भारत की पावन भूमि पर फक्र नई पीढ़ी को होगा,

संजोएगी इतिहास जब वो गर्व, मान हर कोई सुनेगा।

नमन भारत की माटी को शूरवीर विद्वानों की जननी ,

विकसित हो भारत अपना अमर एक इतिहास रचेगा।


स्वरचित एवम मौलिक

कंचन वर्मा

शाहजहांपुर

उत्तर प्रदेश