अपने-अपने एकांत में..

हम अकेले भी कहां रह पाते हैं

अपने-अपने एकांत में ,


सकुचाए हुए से

मन के अन्तर्द्वन्द,,

टीस

कुछ करने,,न करने की,,


होने,,,न होने के मध्य

शून्य होती हुई रिक्तता,,


पछतावा, अनबीते क्षणों का

बीते को तनिक ठहरकर महसूसने की आकांक्षाएं,


एक नाकाम कोशिश

छूटते हुए को रोकने की,,


सहज नहीं है अकेले रह सकना भी

अपने-अपने एकांत में !!


नमिता गुप्ता "मनसी"

उत्तर प्रदेश , मेरठ