रिश्तों के बिना कब तक रहा जाये,
चलो यार पैसा कमाएं,
दोस्तों जितना ज्यादा पैसा कमाएंगे,
भर भर कर रिश्ते बन जाएंगे,
रिश्ते भी रिश्ते को नहीं पूछते
जब तक रिश्तों की बुनियाद न हो,
नींव रोकड़ा ही है
जिससे गर आदमी आबाद न हो,
यदि अकूत दौलत पास आ जाये,
नातेदारों का हुजूम उमड़ आये,
मामा,काका,फूफा,
भाई,बहन,दीदी,जीजा,
सास,ससुर,साला,साली,
बेटा,बहू,बेटी,दामाद,
और तो और मां-बाप भी,
धरती-आसमान तोड़कर
निकल आते हैं यदि हो जाओ धनवान,
यहां पैसे का है सम्मान,
पूजने लगते हैं धनी मूर्ख को भी
कदर नहीं पाता विद्वान,
पल में गायब हो जाएंगे सब
संपत्ति जब हो जाये अंतर्ध्यान,
तो मित्रों सब कुछ भूलकर
रिश्तों से खुद को सजाना है,
पैसा कमाना है, पैसा बढ़ाना है।
राजेन्द्र लाहिरी
पामगढ़ छ.ग.