हसदेव बचाबो---- चौपाई छंद

चल संगी हसदेव बचाबो । महतारी के मान बढ़ाबो ।।

बिन एकर हे सबके मरना । सोंचव जल्दी का हे करना ।।


चार- चिरौंजी तेंदू मउहा । मिलथे संगी झउँहा- झउँहा ।।

जीव-जन्तु बर इही सहारा । कटत हवय हसदेव बिचारा ।।


डीह डोंगरी नदिया घाटी । बंजर होवत हावय माटी ।।

हे विकास के नाँव धराये । लोगन ला कइसे भरमाये ।।


लाख-लाख हे पेड़ कटावत । पूँजीपति मन मजा उड़ावत ।।

धरती हा सुसकत हे भारी । लोंचत हें लबरा बैपारी ।।


जल जंगल ले हे जिनगानी । देवय हम ला दाना पानी ।।

शुद्ध हवा कइसे मिल पाही । रुख राई हा जब कट जाही ।।


हाथी भलुवा घर-घर जाहीं । गाँव शहर मा रार मचाहीं ।।

उजरत हावय इँकर बसेरा । कोन मेर अब करहीं डेरा ।।


देख चलावत हावँय आरी । चुप बइठे हें सत्ताधारी ।।

भैरा कोंदा बनगे हावँय । पद पइसा के महिमा गावँय ।।


आज उजारत हावँय कोरा । ककरो झन गा करव अगोरा ।।

आघू आवव बहिनी-भाई । जल जंगल बर लड़ौ लड़ाई ।।


मुकेश उइके "मयारू"

ग्राम- चेपा, पाली, कोरबा(छ.ग.)

मो.नं.- 8966095681