नेता बनाम हुड रोबिन

रॉबिनहुड बड़ा धनुर्धारी और तलवारबाज था। धनिकों को लूट कर गरीबों में धन बांटा करता था। लोग उसे  भगवान मानते। उसके प्रति श्रद्धा रखते। इस तरह वह गरीबों और अमीरों के धन को बराबर कर समाजवाद की स्थापना करने की कोशिश किया करता। यह पुरानी कहानी है, या किंवदंती है, या काल्पनिक कथा है, इसका पता नहीं, पर सुनने में, फिल्मों में देखने में, पढ़ने में अच्छा लगता था। था तो डाकू पर दयालु, परोपकारी, अच्छा सकारात्मक डाकू जो था।

 वैसे हमारे यहां बहुत पहले (शायद अब भी हैं दूसरे रूपों में) डाकू हुआ करते थे। समाज द्वारा सताए गए, गलत आरोपों से दोषी ठहराए गए या अग्र वर्णों द्वारा सताए गए डाकू बन जाते, अपना बदला निकालते, अमीरों को लूटते और बीहड़ों में चले जाते। इनमें से कुछ अच्छे डाकू भी होते जो गरीबों पर मेहरबां होते। लूटा हुआ धन उनमें बांटते। चंबल डाकुओं के लिए मशहूर जगह मानी जाती है।

वैसे डाकुओं से राजनीति भी जुड़ी है। डाकुओं का सांसद और विधायक बनने की कथा नहीं बांच रहा हूं। जब भी एक बहुत पुराने गांडीवधारी सीएम को अपनी कुर्सी हिलती सी लगती, एक दो डाकुओं का आत्मसमर्पण करवा देते। फिर क्या था कुछ समय के लिए वे सीएम बने रहते। यह सिलसिला लंबा चला। खैर! हम रॉबिन हुड नामक अच्छे डाकू की बात कर रहे थे न।

वैसे आज भी उस रॉबिनहुड के विलोम मौजूद हैं। जिस तरह वह अपने साथी मेरी मेंस के साथ मिलकर अमीरों को लूटता और गरीबों में बांटता, इसी तरह आज मध्य वर्ग और गरीबों को कानूनन टैक्स लगाकर, महंगाई बढ़ाकर  और गरीब बनाया जा रहा है।  तथाकथित धनी वर्ग को और अधिक धनिक बनाया जा रहा है।

वह रॉबिनहुड भी हमारे पुराने दस्युओं की तरह घोड़े पर बैठकर अंधेरे में आता और लूटपाट कर गरीबों में बांट कर अंधेरों में ही चला जाता। लेकिन आज के हुड रोबिन सफेदपोश, सज्जन से दिखते, गरीबों के प्रति प्रेम उंडेलते  बड़े-बड़े ऑस्करीय अभिनेताओं को मात देते अदाकार हैं।

 वे घोड़ों पर नहीं, गधों के साथ हुजूम बनाकर वाहनों में आते हैं और मुस्कुराते मिश्री भरे शब्दों का शरबत पिलाने का अभिनय करते मुगालते में आम लोगों को नये भ्रम में डाल देते हैं। जनता को शोषित होने का, धोखा होने का एहसास हो, इससे पहले ही कोई न कोई जुमला, कोई न कोई हादसा ऐसा पेश करेंगे कि सबका ध्यान शोषण, महंगाई, कर पर से हटकर उस मुद्दे पर चलाया जाएगा। 

आज कोई तो कल फिर नया फितूर लूटने का क्रम टूटे बिना लोगों को दिशविहीन चक्करों में फंसाकर अभिमन्यु सा चक्रव्यूह में भटकते रहने को छोड़ देते हैं। रॉबिन हुड की आत्मा कोसती होगी इन आधुनिक रॉबिन हुड़ों की करतूतें देख देख कर। अब राखो लाज हरि।

डॉ0 टी0 महादेव राव

विशाखापटनम (आंध्र प्रदेश)

9394290204