ढूंढा ख़ुद में तो राम मिले

ढूंढा हर जगह,पर न भरत मिले न राम मिले

मिला हर जगह रावण पर न मेरे प्रभु राम मिले

थे कई भाई,पर मिला न जो राजपाट छोड़ वनवास जिए

ढूंढा पर न मिला भरत सा कोई भाई महान,न राम मिले। 

मिले कोई तो मिले सोचकर ढूंढा दोनों भाइयों को

मिला रावण पर,न लक्ष्मण न भरत न राम मिले

ढूंढ-ढूंढ कर थका हारा सा बैठा तो हनुमान मिले

जो देखा उन्हें फिर ढूंढा ख़ुद में तो राम मिले। 

मिलकर मैंने राम से जाना उनका महत्व पुराना

जिस महत्व को भूल गया है आज जग सारा

राम की महिमा भी भूला,भूला उन की मर्यादा भी

लेकिन जो पधारे राम अयोध्या तो सजा है जग सारा। 

रूको मत, चलो हर पल राम-राम का नाम जपो

सिर्फ़ राम मंदिर में नहीं अपने मन में भी जाप करो

सिर्फ़ मंदिर में नहीं मन के मंदिर में भी बसते हैं राम

बस सारे विचार मिटाकर उन का विचार करो। 

खुशियों से सजी-धजी है अयोध्या,सजा है भारतवर्ष 

भारतवर्ष में फ़िर से जोरों शोरों से है राम नाम गुंजा 

देखो! कितना चमक रहा मेरा समृद्ध भारतवर्ष

पूरी अयोध्या और भारतवर्ष दुल्हन सी है जो सजी। 

खुशियों से अब गूंजेगी पूरे भारतवर्ष की धरती

राम के आगमन के लिए पूरा भारतवर्ष सजाया है 

हिंदूओं की भक्ति ने हर घर में दीपावली मनाया है 

सिर्फ़ अयोध्या नहीं पूरा भारतवर्ष जगमगाया है। 

अब बनेगा भारतवर्ष फिर से राम का ध्यानी 

भरत,लक्ष्मण,राम संग आईं सीता राम दीवानी 

हनुमान जी संग पूरी बंदर सेना है अयोध्या आई

देखो! राम के स्वागत में पूरा भारतवर्ष सजा है भाई।


 - निलेश प्रेमयोगी