व्हाट्सएप??

वर्तमान युग में जब से एंड्रॉयड मोबाइल ,डिवाइस और इंटरनेट घर -घर पहुंचा है, हमारी दिन चर्या अति व्यस्त और आसान हो गई है, इंसान का इंसान से जुड़ाव नाम मात्र का रह गया है,हमेशा वह ऑन लाइन रहता है!या यूं कहें तो बेमानी नहीं होगा कि आदमी इस डिवाइस का गुलाम बन गया है!सोते ,जागते उसका ध्यान इसी में रहता है।कहीं जरा सा भी यह आंखों से ओझल हो जाए तो आदमी का व्यवहार ऐसा हो जाता है, जैसे उसकी कोई प्रिय वस्तु या साजन /सजनी दूर हो गया हो!

उद्विग्नता की यह स्थिति भयावह तो तब हो जाती है जब मोबाइल की बैटरी बैठ रही हो!मोबाइल में जो प्रमुख प्लेटफार्म हैं ,वे फेसबुक,व्हाट्स ऐप, इंस्टाग्राम, यू ट्यूब, गूगल आदि अन्य सोशल मीडिया के ऐप होते हैं मगर अधिकांश लोग फेसबुक और वाट्स ऐप पर ज्यादा सक्रिय रहते हैं।

इसमें भी व्हाट्स ऐप का उपयोग अत्यधिक पसंदीदा होता है। इसमें जो सुविधाएं हमें मिलती हैं वे कही दूसरे ऐप में उपलब्ध नहीं होती।फोटो वीडियो शेयर से ले कर सूचना के आदान प्रदान का सबसे सुलभ माध्यम है। साथ ही ग्रुप चैटिंग का आनंद लेना हो तो इस एप पर लिया जा सकता है!

किसी भी बात को तेजी से फैलाना हो तो लोग आजकल इसी का सहारा लेते हैं।चाहे सत्य घटना हो या झूठ इसी से वायरल या बहू प्रसारित होती है।इसके सकारात्म परिणाम और नकारात्मक दुष्परिणाम भी देखने को मिले हैं।जिसमें सामाजिक विद्वेष से लेकर दंगे हिंसा भड़कते हुए भी कई बार देखे गए हैं ।

इसीलिए जब ऐसी विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं ,तब आप ने देखा होगा कि सरकार इस क्षेत्र में इंटरनेट सेवा को कुछ समय के लिए बाधित कर देती है जिससे कि नकारात्मक सूचनाओं पर रोक लगाई जा सके और स्थिति सामान्य हो सके।आजकल व्हाट्स ऐप पर ज्ञान बहुत मिलता है !आपने देखा होगा किसी जमाने में चुटकुले बाजी से मनोरंजन होता था।

लोग बाग बसों ट्रेनों में आपस में घुल मिल जाते थे और दोस्ती, रिश्तेदारी हो जाती थी।मगर जब से व्हाट्स ऐप आया है ,रील ने अकेले हंसने की शुरुआत कर दी है साथ ही घर -घर में रील के माध्यम से कलाकार पैदा हो गए हैं जो एक्टर बनने के सपने देखा करते थे! वे यहां अपनी खुजली मिटा सकते हैं!सामाजिक ढांचा जो आपसी प्रेम सद्भावना से मजबूत था वह इससे कमजोर होता जा रहा है ,जो हमारे लिए कहीं न कहीं शुभ संकेत नहीं।स्वार्थपरता का विकास होता जा रहा है।

आदमी, आदमी से भौतिक रूप से दूर होता जा रहा है उसके प्रेम प्रदर्शित करने की क्षमता या गुण प्रभावित हो रहे हैं सामाजिकता के गुण लुप्त होते जा रहे हैं।आदमी स्मार्ट नहीं मोबाइल स्मार्ट हो गया है जिससे हर उम्र का व्यक्ति प्रभावित हो रहा है।बड़ों में तो मानसिक विकास हो जाता है, मगर बच्चो की स्थिति हर घर में इतनी बदतर हो चली है कि बच्चे इसके बिना खाना भी नहीं खाते।

दो साल का बच्चा मोबाइल को ऐसे चलाता है ,जैसे वह गर्भावस्था में ही सारे फंक्शन सीख कर ही पैदा हुआ है। अश्लील वीडियो,संदेशों ने पूरे सामाजिक ढांचे को तहस नहस करने की पूरी तैयारी कर ली है।बच्चे अपनी उम्र से बड़े होने का संकेत दे रहे हैं,जरा जरा सी बात पर हिंसक प्रवृत्ति का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।

युवा वर्ग में नैतिकता का ह्रास होता जा रहा है माता पिता इन स्थितियों को नियंत्रित करने के उपाय न मिलने पर अवसाद में जीवन जीने को बाध्य हैं! सरकार और अंबानी अपने खजाने को बढ़ाने में मस्त हैं!इस अंधी दौड़ का अंत कहां होगा इसका उत्तर खोजने में मैं भी प्रयास रत हूं आप भी प्रयास करिए ताकि दुनिया में आपसी प्रेम सौहार्द्र के खूबसूरत झरने जीवित हो सकें। अभी बहुत से सकारात्मक और नकारात्मक पहलू पर रोशनी डालनी शेष है जो अगले लेख में आपसे रूबरू होने पर लिखूंगा क्योंकि यह लेख भी काफी लंबा हो रहा है।लेख लंबा हो जाने पर निरसता आने लगती है।

पंकज शर्मा "तरुण "

मोती महल,गायत्री नगर

पिपलिया मंडी मध्य प्रदेश

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