भारतीय संविधान के स्थापना का पर्व गणतंत्र दिवस

26 जनवरी गणतंत्र दिवस हमारे देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय पर्व,जिसको मनाने के लिए हमारे देश की जनता आतुर होती रहती है और धूमधाम के साथ तैयारी में लग जाती है।यह पर्व हमारे लिए विशेष महत्व रखता है, जिसको मनाने के लिए तन मन मे आशा विश्वास,और उत्साह के साथ राष्ट्रीयता की भावना अनायास ही जाग जाती है। गणतन्त्र दिवस हमारे लिए वह पर्व है, जिसने हमारी खोई हुई अस्मिता,खोया हुआ स्वाभिमान,खोया हुआ अधिकार,खोया हुआ सम्मान हमे वापस दिलाने के लिए एक नई इबादत लिख दिया था। जिसके कारण आज हम अमन चैन के साथ स्वतन्त्रता के साथ भारत की पावन मिट्टी में जी पा रहे हैं।

आइए हम नमन करें,आभार प्रदर्शन करें उन महापुरुषों को,उन महान स्वतंत्रता सेनानियों को जिन्होंने अपना तन मन धन समर्पित कर देश की आन-बान-शान मर्यादा, स्वाभिमान को बचाए रखने में अपनी महती भूमिका निभाई है।जिन्होंने अपने प्राणों की बलि देकर हमारे देश को आजाद कराया। उनको नमन करें,जिनके चलते आज हम चैन की सांस ले पा रहे हैं। इस आजादी से हमारी अपनी लोकतंत्र की स्थापना हो पायी। यह हमारे लिए सबसे बड़ा उपहार था। इस उपहार को पाकर हमे यूँ ही नही भूलना चाहिए।इस उपहार के लिए हमारे देश के महापुरुषों ने जो त्याग बलिदान समर्पण किया है उसे भुलाया नही जा सकता।

जिनमे डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद जी,पंडित नेहरू जी,डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर जी के योगदान को सदा याद किया जाना चाहिए,जिन्होंने हमारे देश के संविधान को मूर्त रूप दिया। जिन्होंने हमारे देश की जनता को यह संविधान समर्पित किया। हर साल हम 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं इस वर्ष भी हम 74 वाँ गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं, इसी दिन हमारे देश का संविधान लागू किया गया था। 

और इस सविधान में ये संकल्पना की गई है कि हमारे देश मे भय,भूख,गरीबी,अशिक्षा,असमानता,गुलामी हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो जाए। इसके लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू 31 दिसम्बर 1930 को रावी नदी के तट पर धरना पर आते हुए पूर्ण स्वाधीनता दिवस 26 जनवरी को मनाने की घोषणा की थी। और वह शुभ दिन आया भी। 1947 में स्वतंत्रता की प्राप्ति के पश्चात डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद जी को संविधान सभा मे अध्यक्ष के रूप में चुने गए।और वे इसके अस्थायी सांसद के रूप में कार्य भी किया। संविधान बनाने के लिए डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर के योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता जिनकी भूमिका अहम मानी जाती है।

26 नवंबर 1949 का दिन को अहम माना जाता है,वह दिन इतिहास में स्वर्ण अक्षर में अंकित हो गया।इस तरह से संविधान सभा ने डॉ.बी.आर. आंबेडकर की अध्यक्षता में जो प्रारूप तैयार किया था।उसको स्वीकार किया और इसी रूप में संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ। जिसको बनाने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगा था।तो आइए ऐसे विश्व से अलग और महान भारत के इस संविधान का हम मान-सम्मान करें।जिसने हमे,सब कुछ देने के लिए कृत संकल्पित हैं।और हम यह संकल्प करें कि हमारे देश से भय,भूख,गरीबी,अशिक्षा,भ्र्ष्टाचार,असमानता, अराजकता,आतंकवाद,आदि का खात्मा करें।और रामराज्य के सपनो को साकार करेंगे।तभी यह गणतंत्र दिवस का राष्ट्रीय पर्व सार्थक हो सके।

अशोक पटेल "आशु"

मेघा,धमतरी (छ्ग)

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