"मैं राम हूं..."

मैं पूर्णस्य हूं

मैं पूर्णमादाय हूं

मैं आदि हूं

मैं अंत हूं...!


मैं मर्यादा में हूं

सबके आत्मा में हूं

मैं पुरुषोत्तम हूं

मैं सर्वोत्तम हूं...!


मैं शिवालय में हूं

मैं रामायण में हूं

मैं अभियान में हूं

मैं संग्राम में हूं...!


मैं हर योद्धा में हूं

मैं अयोध्या में हूं

मैं वहां भी हूं

मैं यहां भी हूं...!


मैं स्वयं से निकला

मेरा स्रोत और मैं

शाश्वत सहयात्री

बनकर चला...!


हर कण हर क्षण

हर लहर हर प्रहार

हर डगर हर सफ़र

मैं सब में हूं...!


सूर्य चंद्र तारा तारिका

आकाशगंगा इस पार

उस पार का

मैं ही हूं... मैं हूं...!


आज तक जो हुआ

कल जो होगा

समस्त... संपूर्ण में मैं हूं

तुम... वह... यह... सब में हूं

मैं राम हूं...!!


स्वरचित एवं मौलिक

मनोज शाह मानस

WZ- 548 B,

नारायण गांव,

नई दिल्ली 110028

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