भारत की जो आन बान है
जन जन का स्वाभिमान है
जन गण मन से रत देश है
रंग-बिरंगा जहाँ का वेश है
संविधान को अब तो जाने
बारिकिया इसकी पहचाने
क्योंकि पहले मेरा स्वदेश है
रंग-बिरंगा जहाँ का वेश है
मूल ग्रन्थ है यह जनमत का
सिद्धांत छुपा है हर मन का
बाबा का सुन्दर जो सन्देश है
रंग-बिरंगा जहाँ का वेश है
गणतंत्र को अक्षुण रखना है
देश हित ही तो मर मिटना है
तन मन धन से ऊपर देश है
रंग-बिरंगा जहाँ का वेश है
रचनाकार
प्रमेशदीप मानिकपुरी
आमाचानी धमतरी छ0 ग0
9907126431