शहंशाह बनाम शहज़ादा लफ़्ज़

सुनिए जी ! नेताओं के शब्द बाणों,जुबानी जंग को ध्यान में रखिएगा जी !  लोकसभा चुनावों का ऐलान जल्द होगा 

टॉप नेताओं की जुबानी जंग को जनता जनार्दन ने रेखांकित किया है,2024 के चुनाव में ज़वाब जरूर देगी - एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया 

गोंदिया- भारत में सियासत का मिजाज़ ही कुछ ऐसा है कि कल के नारे आज फिर प्रासंगिक हो जाते हैं और उसपर तुर्रा ये है कि जो कल वो जुमले इस्तेमाल कर रहे थे, उसी के ख़िलाफ़ आज वो इस्तेमाल हो सकते हैं। अनेक वर्षों से हम टॉप मध्य और निम्न नेताओं के आपसी समकश या फिर अन्य नेताओं के साथजुबानी शाब्दिक बाणों की जंग हम अनेक वर्षों से देख रहे हैं, परंतु वर्ष 2023 में हमने मणिपुर मुद्दा, टीम इंडिया की पराजय, अदानी मुद्दा, पांच राज्यों के चुनाव वआज दिनांक 2 जनवरी 2024 को ट्रांसपोर्ट हड़ताल मुद्दे पर शहंशाह शब्द का प्रयोग व वर्षों से शहजाद सहित अनेक तंज शाब्दिक बाण व जुबानी जंग पूरी दुनियां सहित भारत की आम जनता जनार्दन रेखांकित कर रही है, जिसका जवाब 2024 के लोकसभा चुनाव में देने का मन जनता जनार्दन ने बना दिया है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि जुबानी जंग या शाब्दिक बाण एक टाइम बाउंड अवधि के लिए ही होते है, जिसमें समाप्त हो जाने के बाद बात आगे नहीं बढ़ती।

 अभी हमने 2 जनवरी 2024 को सोशल मीडिया में देख कि युवा नेता ने एक्स प्लेटफार्म पर लिखा कि जब 150 से अधिक सांसद निलंबित थे तब संसद में शहंशाह ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़, ड्राइवर्स के विरुद्ध एक ऐसा कानून बनाया जिसके परिणाम घातक हो सकते हैं। अक्सर नेताओं के बीच खूब जुबानी जंग देखने को मिलती किसी ने किसी पर तंज कसा तो किसी ने किसी को लेकर तीखे बयान दिए, मगर इन सबके बीच सबसे ज्यादा चर्चा पीएम  और युवा नेता के बीच होने वाली जुबानी जंग की रही है।

 संसद से लेकर जनसभा तक दोनों ने एक-दूसरे पर खूब शब्दों के बाण चलाए। हालांकि 2 जनवरी 2024 को ही देर रात को केंद्रीय गृहमंत्री व ट्रांसपोर्टर संगठन के बीच आपसी संवाद बैठक के बाद हड़ताल समाप्ति का ऐलान किया गया जो रेखांकित करने वाली बात है। चूंकि शहंशाह बनाम शहजादा जुबानी जंग शाब्दिक बाण 2023 से ही हम सुन रहे हैं, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, टॉप नेताओं की जुबानी जंग को जनता जनार्दन ने रेखांकित किया है, 2024 के चुनाव में जवाब जरूर देगी। 

साथियों बात अगर हम दिनांक 2 जनवरी 2024 को युवा नेता द्वारा सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट की करें तो उन्होंने लिखा, बिना प्रभावित वर्ग से चर्चा और बिना विपक्ष से संवाद के कानून बनाने की जिद लोकतंत्र की आत्मा पर निरंतर प्रहार है। 

जब 150 से अधिक सांसद निलंबित थे तो तब संसद में शहंशाह ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़, ड्राइवर्स के विरुद्ध एक ऐसा कानून बनाया जिसके परिणाम घातक हो सकते हैं।उन्होंने आगे कहा,सीमित कमाई वाले इस मेहनती वर्ग को कठोर कानूनी भट्टी में झोंकना उनकी जीवनी को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। साथ ही इस कानून का दुरुपयोग संगठित भ्रष्टाचार के साथ वसूली तंत्र को बढ़ावा दे सकता है। लोकतंत्र को चाबुक से चलाने वाली सरकार शहंशाह के फरमान और न्याय के बीच का फर्क भूल चुकी है। 

उन्होने हिट एंड रन कानून और ट्रक ड्राइवरों के प्रदर्शन को लेकर केंद्र सरकार पर हमला किया दरअसल, संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर बड़ी पार्टी सहित अन्य विपक्षी दल केंद्रीय गृह मंत्री के बयान देने की मांग कर रहे थे, इस दौरान शीतकालीन सत्र में हंगामा रहा और संसद की अवमानना को लेकर विपक्षी सांसदों को निलंबित किया था उन्होने पूरे मुल्क में ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल के लिए केंद्र की सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

 दरअसल,पार्लियामेंट के विंटर सेशन के दौरान तीन नए आपराधिक कानूनों को पास हुए, जिसमें भारतीय न्याय संहिता में हिट एंड रन मामलों से निपटने के लिए किए गए कानूनी प्रावधान से पूरे देश के ट्रक चालक नाराज हैं। इसके विरोध में वे हड़ताल कर रहे हैं। इस हड़ताल का सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब, मध्य प्रदेश और झारखंड समते कई राज्यों में देखने को मिल रहा है। देश के कई इलाकों के पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी कतारें दिख रही हैं। इस प्रोटेस्ट के वजह से मुल्क में ईंधन की कमी हो गई है। 

साथियों बात अगर हम दिनांक 2 जनवरी 2024 को देर रात्रि समाप्त हुई केंद्रीय गृहसचिव व ट्रांसपोर्टर संगठनों की बैठक की करें तो, विभिन्न राज्यों में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के देखते हुए केंद्रीय गृह सचिव मंगलवार को ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्टर्स कांग्रेस के साथ बैठक किए, ताकि हालात को नियंत्रण में रखा जाए और आम लोगों को किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े। ड्राइवरों और ट्रक चालकों ने नए दंड कानून में कड़े हिट एंड रन प्रावधान पर निराशा व्यक्त की है। 

ट्रांसपोर्टरों के विभिन्न संगठनों के संयुक्त मोर्चा अध्यक्ष ने केंद्रीय गृह सचिव को बताया जब तक सरकार यह कानून वापस नहीं लेती, तब तक ट्रांसपोर्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। आज शाम तक हम बैठक करके इस पर कोई ठोस निर्णय लेंगे।हिट एंड रन उसे कहते है जब गाड़ी की टक्कर के बाद ड्राइवर मौके से फरार हो जाता है। इस मामलों में घायल शख्स को समय रहते अस्पताल पहुंचाने या प्राथमिक इलाज मिलने पर बचाया भी जा सकता है। आईपीसी के पुराने कानून के मुताबिक हिट एंड रन केस में दो साल की सजा थी और जमानत भी मिल जाती थी।

नया नियम के मुताबिक अगर सड़क दुर्घटना के बाद गाड़ी चालक पुलिस को टक्कर की सूचना दिए बिना मौके से फरार होता है तो उसे 10 साल की जेल और जुर्माना देना पड़ेगा। यह नए नियम निजी वाहन चालकों पर भी समान रूप से लागू कि जाएंगे। इसी कारण देश में कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि नए कानून के प्रावधान कुछ ज्यादा ही सख्त हैं, इन्हें नरम किया जाए।अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस की बैठक पर केंद्रीय गृह सचिव ने कहा, हमने आज अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस के प्रतिनिधियों से चर्चा की। 

सरकार ये बताना चाहती है कि नए कानून एवं प्रावधान अभी लागू नहीं हुए हैं, हम ये भी कहना चाहते हैं कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(2) लागू करने से पहले अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस से विचार विमर्श करने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। हिट एंड रन केस के लिए नए कानून को लेकर सरकार और ट्रांसपोर्टरों में सुलह हो गई है। बता दें ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच हुई बातचीत सफल हुई है। 

ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने कहा है कि ट्रक ड्राइवर अपनी हड़ताल वापस लें और काम पर लौट आएं।ट्रांसपोर्ट संगठन ने देशभर के ड्राइवरों से हड़ताल वापस लेने को कहा है। सरकार की तरफ से संगठन को आश्वसान दिया गया है कि फिलहाल कानून को लागू नहीं किया जाएगा और जब भी इसे लागू किया जाएगा तो संगठन से चर्चा की जाएगी. इसके बाद ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने ड्राइवरों से हड़ताल खत्म करने की अपील की है। 

साथियों बात अगर हम 2013-14 लोकसभा चुनाव से पहले ज़ुबानी जंग, शाब्दिक बाणों की करें तो, साल 2013-14 में लोकसभा चुनावों से पहले वर्तमान पीएम जब युवा नेता को शहज़ादा कहकर पुकारते थे तो पार्टी नेआरोप लगाया था कि वो अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करते हैं, और सियासी बातचीत को निचले स्तरपर ले जा रहे हैं।पार्टी ने ये भी कहा था कि पार्टी कार्यकर्ता इस तरह की भाषा को स्वीकार नहीं करेंगे लेकिन वो क़ानून और चुनाव आयोग की आचार संहिता का सम्मान करते हैं इसलिए ख़ुद पर काबू रखे हुए हैं। 

इसी बात का जवाब पीएम ने पटना रैली में दिया था।उन्होंने कहा, उस पार्टी के मित्र बहुत परेशान हैं कि पीएम शहज़ादा क्यों कह रहे हैं।उन्हें नींद नहीं आती।लेकिन मैं पूछता हूं कि शहज़ादा कहने की नौबत क्यों आई। अगर पार्टी विरासतवादी राजनीति बंद कर देगी तो मैं उन्हें शहज़ादा कहना बंद कर दूंगा। शहज़ादा लफ़्ज़ पर ऐतराज़ जताने वाली पार्टी अब इसी लफ़्ज़ से पलटवार की कोशिश कर रही है। और जिन युवा नेता को पीएम शहज़ादा कहते थे, वहीं युवानेता सत्ताधारीपार्टी के नेता के बेटेकोशाह-ज़ादा कहकर तंज़ कस रहे हैं। और शहंशाह की संज्ञा दे रहे हैं जिसे रेखांकित करना होगा। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि शहंशाह बनाम शहज़ादा लफ़्ज़। सुनिए जी ! नेताओं के शब्द बाणों,जुबानी जंग को ध्यान में रखिएगा जी !  लोकसभा चुनावों का ऐलान जल्द होगा।टॉप नेताओं की जुबानी जंग को जनता जनार्दन ने रेखांकित किया है,2024 के चुनाव में ज़वाब जरूर देगी।

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र