आओ तेज गति, लापरवाही व नशे में गाड़ी चलाना छोड़ यातायात नियमों का अनुपालन करें
दुर्घटनाओं में योगदान देने वाले कारकों का समाधान करने व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की तात्कालिक आवश्यकता - एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर तेजी से विकास के झंडे गाड़ते हुए बढ़ती प्रौद्योगिकी से मानवीय सुख सुविधाओं संसाधनों के नए-नए उच्चस्तरीय आयामो के आविष्कार को अंजाम दिया जा रहा है, याने एक दिन का काम एक मिनट में और एक माह का काम पांच मिनट में निपटाने से सुख सुविधाओं विलोमों का मानवीय जीव आज भोग कर रहा है, परंतु फिर भी मानवीय जीव को समय की कमी आन पड़ी है और बिना किसी भय व अंजाम के सोचतेहुए शीघ्र से मंजिल तक पहुंचने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।
जी हां !! हम बात कर रहे हैं परिवहन संसाधनों के विकसित माध्यमों की जो हमें स्कूटी से लेकर हैवी ट्रक तक के रूप में उपलब्ध हैं, जिनमें दुर्घटनाओं की संख्या, मृतकों, घायलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिनके कारकों में मुख्य रूप से तेज गति, लापरवाही, नशे में गाड़ी चलाकर यातायात नियमों का उल्लंघन कर मौत की भेंट चढ़ा जा रहा है, जिसमें मानवीय व यातायात गलतियों के साथ-साथ परिवहन विभाग की भी समकक्ष रूप से जिम्मेदार है, जिसकी चर्चा हम नीचे करेंगे।
चूंकि दिनांक 31 अक्टूबर 2023 को जारी भारत में सड़क दुर्घटनाएं रिपोर्ट 2022 में 4.61 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाएं 1.68 लाख से अधिक मृत्यु और 4.43 लाख से अधिक घायलों के अधिकृत आंकड़ेदर्शाए गए हैं जिसनें एक बार फिर डरा दिया है कि, इतना बड़ा कंट्रोलर यातायात विभाग के होते हुए इतनी बड़ी दुर्घटनाएं कैसे हो गई।
मैं अपनी छोटी सी सिटी गोंदिया तक में ही देखता हूं कि, किस तरह से वाहन चालक रेड लाइट क्रॉस करते हैं बिना हेलमेट, ट्रिप-चौपाल सीट, बिना हेलमेट, पीयूसी के गाड़ी चलाना 10-15 साल के बच्चों द्वारा ट्यूशन पर गाड़ी ले जाना सहित अनेक बातों से यातायात अधिकारियों की धज्जियां उड़ाई जाती है और स्टाफ देखते रहता है या फिर मलाई खाने में मस्त रहकर चुप रहता है।
यहां लोग बिंदास कहते हैं कि क्या होगा जी 100 500 दे देंगे, चला देंगे काहे का चालान! और काहे की पनिशमेंट! बस!! यही क्रम मेरा मानना है कि पूरे देश में शुरू है, जिसका परिणाम इस रिपोर्ट 2022 में देखने को मिल रहा है। इसलिए इसे रोकने उच्च स्तरीय शासकीय कढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक जन जागरण अभियान चलाना होगा।
हर नागरिक को यातायात अधिनियमों के प्रति अपनी जवाबदेही समझनी होगी, हर ट्रैफिक सिपाही को मलाई से तौबा कर ईमानदारी का चोलाउ ओढ़ना होगा, हर खाकी को ईमानदारी से एक्शन लेना होगा, जिसके परिणाम हम आगे अगले साल आने वाली सड़क दुर्घटनाऐ रिपोर्ट 2023 में अपनी सफलताओं का रिजल्ट देख सकते हैं, यानि जीरो एक्सीडेंट जो हमारे पुराने सुखी जीवन का द्वारा होगा!
चूंकि भारत में सड़क दुर्घटनाएं रिपोर्ट 2022 के भयानक आंकड़े हमारे सामने हैं इसलिए आज हम पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, दुर्घटनाओं में योगदान देने वाले कारकों का समाधान करने व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की तात्कालिक आवश्यकता है।
साथियों बात अगर हम 31 अक्टूबर 2023 को जारी भारत में सड़क दुर्घटनाएं रिपोर्ट 2022 की करें तो, रिपोर्ट के अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2022 के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) द्वारा कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 1,68,491 लोगों ने जान गंवाई और 4,43,366 लोग घायल हो गए।
पिछले वर्ष की तुलना में दुर्घटनाओं में 11.9 प्रतिशत, मृत्यु में 9.4 प्रतिशत और चोटों में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट इन दुर्घटनाओं में योगदान देने वाले कारकों का समाधान करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की तात्कालिकता पर बल देती है, जिसमें तेज गति, लापरवाही से गाड़ी चलाना, नशे में गाड़ी चलाना और यातायात नियमों का अनुपालन न करना शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार यह महत्वपूर्ण है कि हम प्रवर्तन तंत्र को मजबूत करें, ड्राइवर शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ाएं और सड़कों और वाहनों की स्थिति में सुधार करने में निवेश करें। भारत में सड़क दुर्घटनाएँ 2022 प्रकाशन सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और हितधारकों के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में कार्य करता है। यह सड़क दुर्घटनाओं के विभिन्न पहलुओं, उनके कारणों, स्थानों और सड़क उपयोगकर्ताओं की विभिन्न श्रेणियों पर उनके प्रभावों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
रिपोर्ट उभरते रुझानों, चुनौतियों और मंत्रालय की सड़क सुरक्षा पहलों का भी उल्लेख करती है।सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भारत में सड़क दुर्घटनाएँ-2022 पर वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की है। यह रिपोर्ट एशिया प्रशांत सड़क दुर्घटना डेटा (एपीआरएडी) आधार परियोजना के अंतर्गत एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) द्वारा प्रदान किए गए मानकीकृत प्रारूपों में कैलेंडर वर्ष के आधार पर राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस विभागों से प्राप्त डेटा/जानकारी पर आधारित है।
मंत्रालय सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए मजबूत उपाय कार्यान्वित करने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्रालय सड़क उपयोगकर्ता व्यवहार, सड़क बुनियादी ढांचे, वाहन मानकों, यातायात नियमों को लागू करने और दुर्घटना की रोकथाम में प्रौद्योगिकी की भूमिका जैसे विभिन्न पहलुओं पर भी कार्य कर रहा है।
चूँकि सड़क दुर्घटनाएँ प्रकृति में बहु-कारणीय होती हैं, इसलिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों दोनों की सभी एजेंसियों के ठोस प्रयासों के माध्यम से समस्याओं को कम करने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता होती है। मंत्रालय ने विभिन्न अन्य संबंधित संगठनों के साथ-साथ हितधारकों के साथ मिलकर शिक्षा, इंजीनियरिंग (सड़क और वाहन दोनों), प्रवर्तन और आपातकालीन देखभाल सहित सभी 4ई पर ध्यान केंद्रित करते हुए सड़क सुरक्षा के मुद्दे का समाधान करने के लिए एक बहु-आयामी रणनीति तैयार की है।
इसके अलावा, मंत्रालय आधुनिक परिवहन प्रणालियों के कार्यान्वयन, सड़क सुरक्षा ऑडिट और वैश्विक सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों से सीखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग जैसी पहलों में सक्रिय रूप से शामिल है। सड़क दुर्घटनाओं से निपटने के लिए वास्तविक समय डेटा विश्लेषण और स्वचालित वाहन निरीक्षण केंद्रों के लिए इलेक्ट्रॉनिक विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट (ई-डीएआर) जैसी पहल भी चल रही हैं।
ऐसे तैयार होता है डेटा इस वार्षिक रिपोर्ट के लिए एशिया प्रशांत सड़क दुर्घटना डेटा बेस प्रोजेक्ट के तहत एशिया और पैसिफिक के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) द्वारा प्रदान किए गए मानकीकृत प्रारूपों में कैलेंडर वर्ष के आधार पर राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस विभाग आंकड़े भेजते हैं।
साथियों बात अगर हम सड़क दुर्घटना के कारकों की करें तो, भारतीय सड़कों पर तेज रफ्तार अभी भी जान लेने वाली सबसे बड़ी कारण बनी हुई है। 2022 में हुई लगभग 75 प्रतिशत दुर्घटनाओं का कारण यही है। सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते मामलों के पीछे गलत साइड ड्राइविंग भी सबसे बड़े कारणों में से एक है, जिसका योगदान लगभग छह प्रतिशत है। नशे में गाड़ी चलाना और गाड़ी चलाते समय फोन का इस्तेमाल दो अन्य बड़े कारण हैं, जो भारत में चार प्रतिशत से ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं में योगदान करते हैं।
सीट बेल्ट और हेलमेट नहीं पहनने से इतनी मौत बुनियादी सड़क सुरक्षा मानदंडों के उल्लंघन के कारण भी पिछले साल भारत में लगभग 70, हज़ार लोग मारे गए। वाहन में बैठने वाले सभी लोगों के लिए सीटबेल्ट अनिवार्य होने का नियम लागू करने के बावजूद, 2022 में इसे न पहनने के कारण लगभग 17, हज़ार लोगों की जान चली गई। हेलमेट न पहनने के कारण 50, हज़ार से ज्यादा दोपहिया वाहन चालकों की भी मौत हो गई।
किन सड़कों पर कितनी दुर्घटनाएंसड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से आधे से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हाईवे और एक्सप्रेसवे पर हुई हैं। लगभग 33 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं एक्सप्रेसवे सहित नेशनल हाईवे पर हुई हैं। जहां गाड़ी उच्चतम स्पीड लिमिट के साथ चलाई जा सकती हैं। स्टेट हाईवे पर भी पिछले साल एक लाख से ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं। जो भारत में सभी दुर्घटनाओं का लगभग 23 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 40 प्रतिशत दुर्घटनाएं अन्य सड़कों पर होती हैं।
साथियों बात अगर हम शराब पीकर गाड़ी चलाने और यातायात विभाग द्वारा जवाबदेही को अनदेखी करने की करें तो, शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की संख्या बढ़ रही है। इससे आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं और पुलिस इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं कर रही। सांस में अल्कोहल की मात्रा का पता लगाने के लिए ट्रैफिक पुलिस के पास दो ब्रेथ एनालाइजर है, लेकिन उसका भी उपयोग नहीं होता।
ब्रेथ एनालाइजर कई साल पहले मिली है। शुरूआत में इस मशीन से सांस में एल्कोहल की मात्रा जांच की गई लेकिन उसके बाद ट्रैफिक पुलिस इस ओर ध्यान नहीं दे रही। शराब के नशे में वाहन चलाना खतरे से खाली नहीं है। इससे जहां खुद पर खतरा है वहीं सामने वाले के लिए भी यह घातक हो सकता है। शाम के बाद शराब के नशे में ऐसी घटनाएं अधिक हो रही हैं। शराब के नशे में भी वाहन चलाने वाले खतरा साबित हो रहे हैं।
जानकारों की मानें तो अधिकांश हादसे शराब के नशे के कारण हो रहे हैं। नशे में होने के कारण गाड़ी पर कंट्रोल नहीं रहता और दुर्घटना होते देर नहीं लगती। ऐसे लोग कभी खुद तो कभी दूसरों के लिए काल साबित हो रहे हैं। शराब पीकर वाहन चलाना गैरकानूनी है। इस तरह के चालकों के खिलाफ दो साल की सजा और दस हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। ट्रैफिक पुलिस को ऐसे चालकों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है। जांच के लिए ट्रैफिक पुलिस के ब्रेथ एनालाइजर भी है, लेकिन इनका उपयोग नहीं हो रहा। दबी जुबान से पुलिसवाले यह कहते हैं कि ऐसे चालकों को पकड़ने से झमेला है।
उन्हें बाद में अस्पताल ले जाकर मुलाहिजा भी करवाने सहित कई काम होते हैं। पुलिस वाले एक शराबी के फेर में पड़कर बाकी काम चौपट नहीं करना चाहते। ब्रेथ एनालाइजर का बीच-बीच में शराबी वाहन चालकों का जांच किया जाता है। अभी त्यौहारी सीजन में जल्द शराबी वाहन चालकों का ब्रेथ एनालाइजर से जांच करने का अभियान चलायाजाना ज़रूरी है। आशा है इस पर पूरे भारत की पुलिस ध्यान देगी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेष विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत में सड़क दुर्घटनाएं रिपोर्ट 2022 जारी - हादसों में मृतकों घायलों की संख्या ने डराया। आओ तेज गति, लापरवाही व नशे में गाड़ी चलाना छोड़ यातायात नियमोंका अनुपालन करें। दुर्घटनाओं में योगदान देने वाले कारकों का समाधान करने व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की तात्कालिक आवश्यकता है।
-संकलनकर्ता लेखक कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र