तेरे आने की खबर मुझे हैं और किसी को नहीं,
मेरे दिल में बसा है तू, मुझे तेरी हैं जरूरत,
आ गले मिल लेंगे फिर इसी ऐतबार से,
भावनाओं की रखते हैं अब भी कदर,
इसकी बस तुमको-मुझको हैं खबर !
तुमको कहीं पनाह मिले या नहीं, मेरे भी
दिल में सुंदर सा कोना संजा रखा तुम्हारे
लिए, कीमती साबित होगी ये खबर मान लो,
लूटना है मेहफिल, आओ तुम फिर इधर,
तेरे आने की खबर मुझे हैं और किसी को नहीं!
चले आओ गिले शिकवे सारे छोड़कर,
बंधन अपने पराये सब कुछ तोड़कर,
कर लेंगे सारे सुखदुख का हिसाब बैठकर,
नफानुकसान नहीं गिनेंगे, आपस में क्यों हो
शर्मिंदा, आओ आंख से आंख मिला लें,
आओ हाथ से हाथ मिला लें, दिल को करें न
शर्मिंदा, मैं, मैं नहीं, तू, तू नहीं, दोनों हम हैं,
जब मिल लिए दो जिगर एक हो लिए तो
फिर हमें काहे का गम हैं, अब तक जो हुआ
वो शरारत होगी मान लें या खुदगर्जी होगी,
आओ चलेगी यहां अब दोनों की मर्जी जान लें,
तेरे आने की खबर मुझे हैं और किसी को नहीं !
तेरे आने की खबर मुझे हैं और किसी को नहीं,
मेरे दिल में बसा है तू, मुझे तेरी हैं जरूरत,
आ गले मिल लेंगे फिर इसी ऐतबार से,
भावनाओं की रखते हैं अब भी कदर,
इसकी बस तुमको-मुझको हैं खबर !
(स्वरचित व मौलिक रचना)
- मदन वर्मा " माणिक "
इंदौर, मध्यप्रदेश
मो0 6264366070