लाल सागर में हूती विद्रोही संकट-भारत अमेरिका सहित दुनियां का अरबों डॉलर का व्यापार खतरे में आया

हूती विद्रोहियों ने भारत अमेरिका सहित दुनियां के कई देशों की टेंशन बड़ाई - मुकाबला करने 20 देशों का नौसैनिक संगठन बना 

वैश्विक महंगाई व उथल-पुथल रोकने, आपूर्ति श्रृंखला में बाधा पहुंचाने वाले हूती विद्रोहियों पर नकेल कसना समय की मांग - एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर अनेक ऐसी घटनाएं होती है जिनका असर न केवल पूरी दुनियां के देशों और उनकी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है, बल्कि वहां के एक आम नागरिक  पर भी पड़ता है।मसलन पिछले करीब 2 वर्षों से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध से पेट्रोलियम व अन्य पदार्थों का असर आम नागरिकों पर पढ़ते दिखाई दिया है।

 परंतु अब फिर इसराइल-हमास युद्ध के चलते हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में भारत अमेरिका सहित अनेक देशों के वाणिज्य समुद्री जहाज पर ड्रोन से हमला कर तबाही मचाई जा रही है, जहां एक ओर सरकारी या निजी भरपूर नुकसान हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर अनेक शिपिंग कंपनियों ने लाल सागर से जाना बंद कर, लंबी फेरी लगाकर घूम कर आने के लिए बाध्य हो रहे हैं, जिसकी लॉजिस्टिक कास्ट बहुत हाई हो रही है । 

जिससे खाद्य व पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि होने और हर देश की अर्थव्यवस्था पर भारी संकट खड़ा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि हूती विद्रोहियों द्वारा जारी हमले के कारण लाल सागर मार्ग से कारोबार करने वाली दुनियां की कई बड़ी शिपिंग फार्मो ने इस मार्ग पर अपने कारोबार रोक दिए हैं जिसके कारण पूरी दुनियां में यह पांच प्रभाव हो रहे हैं।(1) महंगाई बढ़ सकती है।(2) क्रूड ऑयल के दाम बढ़ रहे हैं। 

(3) ग्लोबल लेवल पर उथल-पुथल मच सकती है।(4) भारत के कोल इंपोर्टेड पर फर्क नहीं पड़ने की संभावना है। (5) अमेरिका ने हूती हमले का जवाब देने के लिए 20 देशों का गठबंधन बनाया है। चूंकि हूती विद्रोहियों ने भारत अमेरिका सहित पूरी दुनियां की टेंशन बड़ाई है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, वैश्विक महंगाई व उथल पुथल रोकने तथा आपूर्ति श्रृंखला को बाधा पहुंचाने वाले हूती विद्रोहियों पर नकेल कसना समय की मांग है। 

साथियों बात अगर हम हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर समुद्री जहाज पर ड्रोन से हमला करने की करें तो ईरान का समर्थन करने वाले हूती विद्रोहियों द्वारा यमन के बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है जिसमें लाल सागर से जुड़ा पश्चिमी तट भी शामिल है। यहां से हूती विद्रोही हमास के समर्थन में हमले कर रहे हैं। हमले की जद में इजरायल के जहाज़ों सहित अमेरिका भारत सहित कुछ देशों के जहाज लपेटे में आ रहे हैं। दक्षिणी लाल सागर में एक ही दिन दो बड़े कारोबारी जहाजों पर ताबड़तोड़ ड्रोन अटैक करने के बाद हूती ने भारत और अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों की टेंशन बढ़ा दी है। 

यूएस सेंट्रल कमांड ने 23 दिसंबर को एक बयान में कहा कि ईराम समर्थित हूती के कब्जे वाले यमन के क्षेत्रों से दक्षिणी लाल सागर में अंतरराष्ट्रीय शिप लेन में दो बैलिस्टिक मिसाइल दागी गईं। उसके बाद ड्रोन अटैक किया गया। हालांकि, इन हमलों से किसी भी जहाज के अधिक प्रभावित होने की सूचना नहीं है। यूएस आर्मी का कहना है कि 17 अक्तूबर के बाद अब तक हूती की तरफ से किसी कमर्शियल जहाज पर हमले की 15वीं घटना है।हूती आतंकियों ने लाल सागर और हिंद महासागर को जोड़ती बाब-अल मंदाब की खाड़ी में इंटरनेशनल और कमर्शियल जहाजों को निशाना बनाया है।

 दक्षिण लाल सागर का यह हिस्सा कंटेनर, कार्गो और पैसेंजर शिप्स के लिए सबसे बेहतर रूट माना जाता है। भारत और यूरोप के बीच समुद्री व्यापार के लिए भी सबसे मुफीद रूट है।बाब-अल-मंदाब एक अरबी शब्द है। इसका मतलब आंसू का द्वार होता है। लाल सागर और स्वेज नहर के जरिए भूमध्य सागर और हिंद महासागर को जोड़ने वाला समुद्री व्यापार मार्ग अरेबियन पेनिनसुला को अफ्रीका से अलग करती है। इसके बंद होने से यूरोप की ओर जाने वाले मालवाहक जहाजों को अफ्रीका के निचले सिरे पर स्थित केप ऑफ गुड होप होते हुए सफर करना होगा।

 भारत समेत पूरे एशिया के समुद्री व्यापार पर इसका बुरा असर होगा। इजरायल-हमास जंग के बाद इस समुद्री रास्ते पर कारोबारी जहाजों को लगातार निशाना बनाए जाने से चिंतित होकर अमेरिका ने ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, बहरीन और नॉर्वे सहित 20 देशों का एक नौसैनिक संगठन बनाया है. वहीं, भारतीय पीएम ने 19 दिसंबर को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यनाहू से फोन पर बातचीत की है। 

साथियों बात अगर हम आपूर्ति श्रृंखला को बाधा पहुंचने की करें तो, पिछले हफ्ते, दुनिया की सबसे बड़ी शिपिंग कंपनियों में से ज्यादातर ने कहा है कि वे यमन स्थित हूथी विद्रोहियों द्वारा इस्राएल-हमास युद्ध के दौरान मालवाहक जहाजों पर मिसाइलें दागने के बाद लाल सागर और स्वेज नहर से जाने से बचेंगे।इस वजह से, सुदूर पूर्व से यूरोप की ओर जाने वाले जहाजों को दक्षिण अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप के माध्यम से पूरे अफ्रीकी महाद्वीप का चक्कर लगाना होगा। 

यात्रा में एक सप्ताह से अधिक समय लगेगा और यह यात्रा करीब 3,500 समुद्री मील यानी करीब 6,482 किलोमीटर की होगी।स्वेज नहर, लाल सागर को भूमध्य सागर से जोड़ती है और इसकी वजह से यह यूरोप और एशिया के बीच सबसे छोटा मार्ग है। वैश्विक शिपिंग यातायात का लगभग 12 फीसद आमतौर पर जलमार्ग से गुजरता है। ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों के हमलों में वृद्धि के बाद, दुनिया की सबसे बड़ी शिपिंग कंपनियां लाल सागर और स्वेज नहर से दूरी बना रही हैं।

 तो क्या हम एक और आपूर्ति श्रृंखला के संकट का सामना करने वाले हैं?शिपिंग कंपनियों की लागत आसमान छू रही है।उद्योग विश्लेषकों का कहना है कि यह निर्णय पहले से ही शिपिंग माल की लागत को काफी प्रभावित करता है। ऐसे में यदि यह एक विस्तारित संकट बन जाता है, तो उपभोक्ताओं के लिए आयातित वस्तुओंकी कीमत और ज्यादा बढ़ सकतीहै। 

साथियों बात अगर हमविश्लेषकों के विचारों की करें तो आपूर्ति श्रृंखला आज ज्यादा मजबूत हैं।हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि आपूर्ति शृंखलाएं लगभग सामान्य हो गई हैं, लेकिन लाल सागर में सुरक्षा खतरे के कारण अगले कुछ हफ्तों में कीमतें दोगुनी हो सकती हैं। 

पिछले महीने पनामा नहर में सूखे के कारण अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाले जलमार्ग पर चलने वाले जहाजों की संख्या पर अंकुश लग गया जिसके बाद वैश्विक माल ढुलाई की दरें पहले से ही बढ़ने लगी थीं।सौभाग्य से, शिपिंग उद्योग ने कोविड आपूर्ति श्रृंखला संकट के बाद से सबक सीखा है और कई कंपनियों ने अपने मालवाहक जहाजों के बेड़े का विस्तार किया है, जिसका मतलब है कि लाल सागर के किसी भी स्थायी मार्ग परिवर्तन का प्रभाव उतना विनाशकारी नहीं होगा। 

फिलहाल हमारे पास क्षमता से अधिक कंटेनर जहाज हैं, इसलिए सबसे खराब स्थिति में भी जहां हमें कुछ समय के लिए अफ्रीका के आसपास जाना जारी रखना है, हमारे पास ऐसा करने के लिए दुनिया भर में कंटेनर जहाज हैं।अमेरिका ने लाल सागर में समुद्री वाणिज्य की सुरक्षा के लिए एक बहु-राष्ट्रीय अभियान की घोषणा की है। सुरक्षा के उपाय के तरीके के रूप में, ब्रिटेन, बहरीन, कनाडा  फ्रांस, इटली, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, सेशेल्स और स्पेन दक्षिणी लाल सागर और अदन की खाड़ी में संयुक्त रूप से गश्त करेंगे।क्षेत्र में अमेरिकी और ब्रिटिश युद्धपोतों ने हाल के दिनों में हूथी मिसाइलों और ड्रोनों को मार गिराना शुरू कर दिया है। 

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि बड़े नौसैनिक बल की मौजूदगी हमलों को पूरी तरह से रोकने के लिए पर्याप्त होगी या नहीं।हालांकि, कुछ जहाज सशस्त्र गार्डों के साथ लाल सागर में आवाजाही जारी रखे हुए हैं, ताकि अगर उनके जहाजों पर हूथी विद्रोही सवार हो जाते हैं तो उनसे निपटा जा सके हूती विद्रोहियों ने जोर देकर कहा था कि अमेरिका के नेतृत्व वाला सुरक्षा अभियान उन्हें रोक नहीं पाएगा। मौजूदा संकट ज्यादा मुश्किल है क्योंकि हूती विद्रोहियों को जहाजों पर मिसाइलों और ड्रोनों को लॉन्च करने से रोकने के लिए क्या करना होगा यह नहीं पता है, खासकर तब जबकि वे लगातार इस्राएल-हमास संघर्ष की ओर लगातार ध्यान आकर्षित कर रहे हों। 

सप्लाई चेन रिसर्च फर्म प्रोजेक्ट 44 ने एक नोट में कहा कि शिपमेंट में देरी से क्रिसमस की खरीदारी पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन अगर देरी जारी रही तो फरवरी तक दुकानों में स्टॉक कम होने की आशंका है।वहीं अन्य विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि कुल मिलाकर कंटेनर शिपिंग पर अधिक असर पड़ सकता है, यूरोप में जीवाश्म ईंधन ले जाने वाले जहाजों में देरी सबसे पहले महसूस की जा सकती है। कुछ कहते हैं, हम देख रहे हैं कि उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों के कारण एनर्जी शिपमेंट पर इस वक्त असर पड़ रहा है- चाहे वह तेल हो या कोयला या गैस हो, इससे ऊर्जा कीमतों पर असर पड़ सकता है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिका ने लाल सागर में हूती विद्रोहियों से मुकाबला करने 20 देशों का नौसैनिक संगठन बनाया।लाल सागर में हूती विद्रोही संकट - भारत अमेरिका सहित दुनियां का अरबों डॉलर का व्यापार खतरे में आया।हूती विद्रोहियों ने भारत अमेरिका सहित दुनियां के कई देशों की टेंशन बड़ाई।वैश्विक महंगाई व उथल-पुथल रोकने, आपूर्ति श्रृंखला में बाधा पहुंचाने वाले हूती विद्रोहियों पर नकेल कसना समय की मांग। 

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र