कइसे तैं ह भुला जाथस

तोर सुरता कतका कुंद परे हे

कइसे तैं ह भुला जाथस,

तोर बांटा खा के झुला झुला दिन

तैं झुलवा झुल के आ जाथस,

का बांचीस अब तोर जगा जी

कतका तैं हर खा पाथस,

का खाथस अउ का बचाथस,

खुद ले खुद ल का लुकाथस,

मुड़ म बोहे दूसर के बोझा,

तभे खोजथस बइगा ओझा,

पथरा मन ल देख देख के

मुड़ी कभू नई टांगे होबे,

बिपत परे म पथरा से

बिनती कर का नई मांगे होबे,

वो रास रचा थे तोर हिस्सा ले

मुचमुचा के नाचत हावय,

खोर्री खांसी अंग धरा के,

जवान घलो खोर खांसत हावय,

तोर धरती ल बंटा दिहिस,

नौकरी घलो ल खा दिहिस,

घंटा ल तोला धरा के

खुदे संसद म आ गिहिस,

तैं तो कांवर धर जात हवस,

जगराता घलो करात हवस,

आठे के बेरा आइस त

मरकी रस्सी म झुलात हवस,

मन करिस त महीना भर ले

भूखन रहि ईद मनात हवस,

का काम एही बस करना हे,

लइका ल का नई पढ़ना हे,

लड़ लड़ कोरट म जाथस

उकील काबर नई बनना हे,

महापुरुष मन थक हारिस,

फेर तोला का लकवा मारिस,

दूसर के जिनगी गढ़े बर

टंगिया ल गोड़ गिरा जाथस,

कइसे तैं ह भुला जाथस।

नम्मू पामगढ़िया पामगढ़ छग