अहमियत (संस्मरण)

यह बात सन 1996 की है,जब एक बिल्डिंग में हम अपने परिवार के साथ किराए पर रहते थे। उस बिल्डिंग में सभी किराएदार ही रहते थे। हमारे बगल वाले पोर्शन में जो किराएदार रहता था, वह बहुत ही उजड्ड और बदतमीज किस्म का इंसान था। 

जब तब हम को परेशान करता रहता था। पानी का कनेक्शन उसकी तरफ से होकर ही आता था। तो अनावश्यक नल खोल कर बहाता था, जिससे हमारी तरफ पानी नहीं पहुंचता था, और जब हम उससे कहने जाते तो बदतमीजी करता । 

काफी समय उसके साथ रहने के बाद मन में बहुत गुस्सा आता था। लेकिन वह अपनी आदत से बाज नहीं आता था। बिजली का भी कट आउट उसकी तरफ ही लगा हुआ था। एक दिन मेरे पतिदेव अपने गांव अपने मां बाप से मिलने चले गए थे।उसने मौका देखा कि मैं अकेली हूं। उस समय मेरा बच्चा भी बहुत छोटा था, और गर्मी का समय था, हम लोग अपना कमरा बंद करके सो रहे थे। कि...

 अचानक लाइट चली गई ।लाइट जाने के बाद थोड़ी देर तो मैंने इंतजार किया। परंतु जब काफी देर हो गई लाइट नहीं आई, तो मैंने खिड़की खोलकर देखा तो बाहर चारों तरफ बिजली आ रही  थी। मुझे समझते देर न लगी कि बगल वाले किराएदार ने मेरी तरफ का कट आउट निकाल दिया है। तब मैंने आधी रात में अपना दरवाजा खोलकर उसका दरवाजा पीटा, और मैं बहुत जोर से चिल्लाई। कि तुम्हारी तरफ लाइट आ रही है,  इसका मतलब मेरी तरफ की लाइट तुमने काट दी है,  

 मैं अभी पुलिस को फोन करती हूं, पूलिस का नाम सुनकर उसने हमारी तरफ का कांटा लगा दिया। और चुपचाप अपने कमरे में अंदर सो गया। लाइट आने के बाद में अपने बच्चे के साथ दरवाजा बंद करके सो गई, लेकिन उस दिन मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था।

सुबह हुई तो मैंने कई लोगों को बुलाया और अपने भाई को बुलाया फिर उसका दरवाजा खटखटाया। मेरे भाई ने कहा अब तू निकल बाहर आ।  मैं तुझे  बताता हूं, कि कैसे  परेशान किया जाता है। पर वह बाहर नहीं निकला, उसके घर से डर की वजह से कोई बाहर नहीं निकला। 

अगले दिन मेरे पति वापस आ गए थे, फिर  उन्होंने जैसे ही उसको बाहर देखा, जाकर पकड़कर घसीट लिया और दो चांटे उसके गाल पर रसीद किए। चांटे खाकर भी वह चुपचाप खड़ा रहा। क्योंकि मेरा भाई  भी उनके पीछे खड़ा हुआ था। उसने सोचा आज तो हमारी शामत आ गई ।

आज यह दोनों मिलकर मुझे बहुत मारेंगे। इतना देखकर उसकी पत्नी बीच में आ गई, और माफी मांगने लगी, तो मैंने जाकर इनसे उसको छुड़ा दिया। और इनके घर के अंदर ले आई, उसके बाद उसकी बदतमीजियां कुछ कम हो गई थी। लेकिन वह आदत से मजबूर था, मौका पड़ने पर कहीं ना कहीं बतमीजी कर ही देता था।

उसकी वाइफ प्रेगनेंट थी, तो कभी कभी हमसे बात कर लिया करती थी।एक दिन अचानक वह अपने घर से बहुत तेज चिल्लाई। ऋषि की मम्मी.... ऋषि की मम्मी .....मैंने सोचा पता नहीं क्या हो गया। मैं उसके कमरे में झांकी, तो वह हाथ जोड़ने लगी और बोली.... कृपया मेरी मदद करो।

मैंने पूछा..... क्या हुआ है, तो उसने बताया... मुझे लेबर पेन हो रहा है, और मेरे घर में कोई नहीं है। तब मैंने कहा.... इस समय मेरे घर में भी ऋषि के पापा  नहीं हैं। मैं क्या कर सकती हूं। मैं तो तुम्हें कहीं ले जा नहीं सकती।  उसने कहा.... कृपया आप मेरे कमरे में आ जाइए। 

मैंने नर्स की ट्रेनिंग की हुई है। मैं आपको बताती जाऊंगी और आप मेरी मदद करके मेरी डिलीवरी करा दीजिए मेरे लिए तो यह सब  अनजाना था, मैंने तो कभी ऐसा देखा भी नहीं था। परंतु उसकी और उसके बच्चे की जान बच जाए इसलिए मैं उसकी मदद करने चली गई।

मैंने उसके कमरे में जाकर उसकी डिलीवरी कराई‌।  डिलीवरी होने के बाद उसने अपने बच्चे का नाल स्वयं ही काट लिया। और साफ-सफाई भी उसने खुद ही कर ली। उसके बाद मैं अपने कमरे में चली आई। कमरे में आकर मैंने स्नान किया ,और उसके बाद मैंने अपना खाना बनाया।

 मेरे पति ने आकर पूछा.... इस समय तुम क्यों नहाई हो। तब मैंने उन्हें सभी बात बताई , उन्होंने मुझे डांटा कि वह तुम्हें इतना परेशान करता है, तो तुम उसकी मदद करने क्यों गई। मैंने कहा..... इंसानियत के नाते मैंने उसकी मदद की। अगर वह या उसका बच्चा मर जाता, या उसके बच्चे को कुछ हो जाता तो हमें क्या मिल जाता। मेरे पति ने कहा.... ठीक है, तुमने जो किया अच्छा किया। 

अब खाना लगाओ,मैंने खाना परोसा खाना खा पीकर हम सभी सो गए।रात में जब उसका पति आया,तो उसने अपनी पत्नी को बच्चे के साथ देखा तो वह भौचक्का रह गया।उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। उसके इस तरह से देखने पर उसकी पत्नी ने सारी बात अपने पति को बताई।

 वह बदतमीज इंसान सारी बात सुनकर आंखों से आंसू बहाने लगा। उसको रोते देख  उसकी पत्नी ने कहा.... आपको क्या हुआ है, आप रोने क्यों लगे हैं। हम सब ठीक हैं। तब उसने कहा मैंने जिसके साथ इतना बुरा किया। मैं हर पल उनको परेशान करता रहा हूं।

  फिर भी उन्होंने आज तुम्हारी और मेरे बच्चे की जान बचा कर मुझे खरीद लिया है। मैं उनका कर्जदार हो गया हूं, आज मुझे अपने आप पर गुस्सा आ रहा है। इतनी सभ्य औरत को मैंने इतना परेशान किया। मैं सुबह होते ही उनके पैरों में गिर कर उनसे माफी मांग लूंगा। 

और  उसने वैसा ही किया, सुबह होते ही वह मेरे पास आया, और मेरे  पैरों में गिर कर माफी मांगने लगा। मैं पीछे हट गई और मैंने उससे कहा .. ।कि आप यह क्या कर रहे हैं। वह रोने लगा और कहने लगा..... ऋषि की मम्मी... मुझे माफ कर दीजिए। मैंने आपके साथ बहुत बुरा किया है, परंतु आपने मेरे साथ इतना अच्छा व्यवहार किया मुझे इसकी उम्मीद भी नहीं थी। आप तो साक्षात देवी हैं। 

 आप की जगह  कोई और होता तो कतई मेरी पत्नी और बच्चे की मदद नहीं करता मुझे माफ कर दीजिए। आज मुझे आपकी असली अहमियत का पता लगा है, क्योंकि आज आप ना होती तो शायद मेरा परिवार सकुशल ना होता । आप महान हैं, आपके रहमों करम से मेरा परिवार कुशल है और मैं खुश हूं।


अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'

 लखनऊ उत्तर प्रदेश।