उम्र भर के लिए कुछ नहीं ठहरता
कुछ भी तो नहीं,
न बसंत,,न पतझड़
न दिन,,न रात
न धूप,,न बारिश
न ही ये वक्त
और,, मैं और तुम भी नहीं !!
ठहरता है तो बस
इस आवागमन के संगीत से उपजा
एक छोटा सा मौनालाप ,
देखा जाए तो
ये एक सामान्य सा गणित है
लेकिन कितना जटिल,,है न !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ, उत्तर प्रदेश