बड़े धूमधाम से मनाई गई महर्षि वाल्मीकि जयन्ती

अमेठी। मदन फाउंडेशन अध्यक्ष डी के तिवारी ताला अमेठी के द्वारा महान संत महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती मदन फाउंडेशन द्वारा आयोजित व डाॅ0 अम्बेडकर फाउंडेशन (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली) द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम का आयोजन कोमिनेन्स इंटरनेशनल स्कूल चिनहट लख्नउ मे सफलतापूर्वक मनाई गई।

कार्यक्रम मे आमंत्रित बतौर मुख्य अतिथि सुनीता सिंह,जिला समाज कल्याण अधिकारी,उत्तर प्रदेश सरकार ने महान संत महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत रामायण का जिक्र करते हुए कहा कि महर्षि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति,सामाजिक मूल्यो एवं राष्ट्र मूल्यो के चितंक थे जिन्होने रामायण जैसे सांस्कृतिक महाकाव्य की रचना की,जिसके माध्यम से मानव मूल्य गढने मे आज भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है ।

महर्षि वाल्मीकि का आदर्श मूल्य आज भी अनुकरणीय है महर्षि वाल्मीकि विश्व के आदि कवि है उन्होने विश्व प्रसिद्व कालजई कृति रामायण महाकाव्य की रचना श्रीराम के जीवनकाल पर की ।विशेष अतिथि के रुप मे आंमत्रित उषा यादव प्रिंसिपल, (डोमिनेन्स इंटरनेश्रनल स्कूल) ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वाल्मीकि जी के जीवन से बहुत सीखने को मिलता है उनका व्यक्तित्व साधारण नही था महर्षि वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था और उनका पालन जंग लमे रहने वाली भील जाति मे हुआ था जि कारण उन्होने भीलो की परंमरा को अपनाया और आजीविका के लिए डाकू बन गए।

अपने परिवार केे पालन पोषण के लिए वे राहगीरो को लूटते थे एवं जरुरत होने पर मार भी देते थे इस प्रकार दिन प्रतिदिन अपने पापो का घडा भर रहे थे एक दिन उनके जंगल से पारद मुनि निकल रहे थे उन्हे देख रत्नाकर उन्हे बन्दी बना लिया नारद मुनि ने उनसे सवाल किया कि तुम ऐसे पाप क्यो कर रहे हो।रत्नाकर ने जबाब दिया अपने एवं अपने परिवार के जीवन व्यापन के लिए नारद मुनि ने पूछा।जिस परिवार के लिए तुम पाप कर रहे हो क्या वह परिवार तुम्हारे पापो के फल का भी वहन करेगा।इस पर रत्नाकर ने जोश के साथ कहा हाॅ बिल्कुल करेगा।

मेरा परिवार सदैव मेरे साथ खडा रहेगा।नारद मुनि ने कहा कि एक बार उनसे पूछ लो ,अगर वे हाॅ कहेगे तो मै तुम्हे अपना सारा धन दे दूॅगा। रत्नाकर ने अपने सभी परिवारजनो से पूछा,लेकिन किसी ने भी इस बात की हामी नही भरी। इस बात का रत्नाकर पर गहरा आघात पहुॅचा और उन्होने दुराचारी के उस मार्ग को छोड तप का मार्ग चुना एवं कई वर्षो तक ध्यान एवं तपस्या की।जिसके फलस्वरुप उन्हे महर्षि वाल्मीकि नाम एवं ज्ञान की प्राप्ति हुई। और उन्होने संस्कृत भाषा मे रामायण महाग्रन्थ की रचना की यह एक ऐसा ग्रन्थ है जिसने मर्यादा,सत्य,प्रेम,भातृत्व,मित्रत्व एवं सेवक के धर्म की परिभाषा सिखाई।

कार्यक्रम के एक दिन पूर्व विद्याालय मे छात्र-छात्राओ के लिए महर्षि वाल्मीकि जी के जीवन पर निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।प्रथम,द्वितीय,तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओ को संस्था की ओर से नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।कार्यक्रम का शुभारम्भ महर्षि वाल्मीकि जी के चित्र पर मुख्य अतिथि ,विशेष अतिथि एवं अन्य गणमान्य अतिथियो द्वारा पुष्प अर्पित कर शुभारम्भ किया गया।

कार्यक्रम मे लखनउ की मशहूर सास्कृतिक टीम ने हिस्सा लिया और कार्यक्रम से जुडी अपनी विभिन्न कलाओ की प्रस्तुति दी।प्रसिद्व कवि समीर मिश्रा,वरिष्ठ समाजसेवी बी0एल0 प्रजापति एवं अखिलेश सिंह को स्मृति चिन्ह देकर सम्मनित किया।इस अवसर पर विद्यालय के अन्य शिक्षको को भी प्रतीक न्हि देकर सम्मनित किया गया।इस अवसर पर तमाम गणमान्य व्यक्तियो के अलावा विद्यालय के छात्र छात्राओ ने कार्यक्रम मे भाग लिया इस अवसर पर गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।

काय्रक्रम की अध्यक्षता दिनेश चन्द्र वर्मा ने किया।समारोह मे आए हुए सभी अतिथियो को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।कार्यक्रम के अन्त मे संस्था के अध्यक्ष धीरेन्द्र कुमार तिवारी द्वारा आए हुए अतिथियो का आभार व्यक्त किया गयां।समारोह के अन्त मे उपस्थित छात्र छात्राओ एवं अतिथियो ने कार्यक्रम के प्रयोजन हेतु डाॅ0 अम्बेडकर फाउंडेशन को धन्यवाद दिया।