जो क्या हुआ मुझे
सौ दर्द मिला कि
मैने एक बेवफ़ा पे
ऐतवार आँख बंद
कर किया,
जो क्या हुआ मुझे
बंदिशें मिली उनकी
आगोश में मैन जंजीरों
में खुद को बांध दिया,
जो क्या हुआ कि
मैं उनसे रुसवा हुई
मैने अपने नाम बेरंग
दुनिया जो किया,
जो क्या हुआ कि
एक बार जो उन्होंने
बेवफाई निभाई
उस रात कीमत मैने
भी तन्हाइयों में ही
तो टूट कर टुकड़ो में
न जाने कितनी दफ़ा
चुकाई,
जो क्या हुआ की
अब तेरी गलीयो में
मैं न आऊ तब चाँदनी
होगी पर उसमे वो
बात नही होगी जो
मेरे होने से होती थी,
जो क्या हुआ टूट गया
हर ख्वाब मेरा जो
हमने साथ देखा वो
पूरा न हुआ मुक्कदर
में बिछड़ना था तो अच्छा
हुआ जो पूरा न हुआ।।
-- लवली आनंद
मुजफ्फरपुर , बिहार