कट, कॉपी-पेस्ट, टाईम इज बेस्ट....!

सोशल मीडिया पर ज्ञान बिखरा पडा़ है। बस लपकने की देर है। ज्ञान भरे एप हैं साथ में शेयर करें, ऐडिट, करें और क्रेडिट लेवें। अपना ज्ञान लाक करें अनेक चुराईटर्स ताकझांक कर रहे है। तुम्हारे नवसिखीयेपन पर खींसेनिपोर रहें हैं अगर चतुर हो तो तुम भी करो । कौन रोकता है, भीड़ तंत्र में सभी यह कर रहे हैं, किसी को पता भी नहीं चलता जब तक अपना संदेश वापस लौटकर अपने को ही न मिलें। 

एक से एक आकर्षक संदेश त्योहारों से संबंधित फोटो, सीनरी, सब तैयार है। उधर लेखकों की कविताएं, लेख, उन्हें ही बार बार पढ़ने को मिलते हैं किसी ओर के नाम से ऐसे लेखकों के प्रति खेद हैं लेकिन जो रेडिमेड रचनाओं को चुराकर वालीबॉल बनाकार खुद मैच जीतते हैं उनके साहस को तो सिर्फ दाद ही दे सकते है। 

मानहानि नहीं कर सकते, मिलना जाना कुछ नहीं ओरिजनल लेखक के पास कोर्ट कचहरी में बहाने को इतनी आमदनी होती है, एक सामान्य लेखक की बात कह रहा हूं तो क्यों मुफ्त में रूपया बहाया जाऐ। कुछ ऐसे भी हैं लेखक जो आब्जेक्शन लेने पर माफी मांगना शान के खिलाफ समझते हैं । चुपचाप पोस्ट हटा भी देते है।  ये ईमानदारी है। नहीं तो उलटा इल्ज़ाम लगाने वाले पर ही रचना चोरी का आरोप उन्हीं पर थोप देते हैं और इस कार्य के प्रति मोटिवेशन उत्पन्न करते हैं।

कट कापी पेस्ट टाईम पास बेस्ट का अनुभव लेकर कई नौसिखिए नामचिन हो गये। छोटेमोटे कार्यक्रम में जाने माने हो गये। जब शास्त्रार्थ का मौका आता, ये भैया जाने कहां खो जाते, सो जाते अर्थात गायब हो जाते। ऐसे में यह बहाना कि यार आज मुड ठीक नहीं, फिर किसी दिन। फिर अपनी शकल ही नहीं बताते। जिन्हें लिखना पढ़ना ढंग से नहीं आता, वह कट कापी पेस्ट विशारद।

लेकिन भाईयों यह भी एक हुनर है, बिना पैसे का खेल मजे लेकर आनंद में कट कापी पेस्ट जमकर पेल । जिसको अच्छा लगे उसका भी भला, जिसको ना भाए उसका और ज्यादा भला।


                      - मदन वर्मा " माणिक "

                        इंदौर, मध्यप्रदेश

                     मो. 6264366070