दस लाख खर्च कर बैतूल की स्वाति से शिवाय बनने की कहानी

बैतूल से रामकिशोर पंवार

शैक्षणिक रिकार्ड में लिंग परिवर्तन के बाद वह को वह में बदलना इतना आसान नहीं

बैतूल : उसने जन्म तो लिया था लड़की के रूप में लेकिन उसका हाव - भाव लड़को जैसा था। ऐसे में वह जब पूर्ण रूप से लड़की होने के बाद उसने लड़की से लड़का बनने का संघर्ष शुरू किया। हालांकि उसे लड़कों के जैसा ही रहना पसंद था। बचपन से उसके छोटे बाल और लड़कों की तरह ही खेलना शुरू कर दिया, लेकिन यह सब घर के लोगों को कुछ समय बाद ठीक नहीं लगा।

 उसके अनुसार मैं खुद अपने लड़की वाले शरीर से खुश नहीं थी। एक बार यूट्यूब पर आर्यन पाशा को देखा। आर्यन लड़की से लड़का बने और फिर बॉडी बिल्डर के रूप में जब सामने आया तो उसने भी ठान लिया कि एक दिन वह भी स्वाति से शिवाय बन कर रहेगी। 

यह कोई रूपहले पर्दे की कोई फिल्मी कहानी नहीं है। मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिला मुख्यालय के संजय कॉलोनी निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर 30 वर्षीय शिवाय सूर्यवंशी की वह अब जेंडर चेंज सर्जरी करा कर स्वाति से शिवाय बन चुका है। काफी मंहगी तीन स्टेप में होने जेंडर चेंज सर्जरी में करवा चुकी स्वाति की अब नई पहचान शिवाय सूर्यवंशी के रूप में हो चुकी है।

 हालांकि सरकारी कागजी कार्यवाही कछुआ चाल में चल रही है। शिवाय सूर्यवंशी के अनुसार दिल्ली के ऑलमेक हॉस्पिटल में उन्होंने सर्जरी कराई है। डॉक्टर नरेंद्र कौशिक ने सर्जरी की है। पहली सर्जरी 2020 में हुई थी जिसमें हारमोंस चेंज होते हैं। साथ ही वॉइस चेंज होती है व दाढ़ी आने लगती है। शिवाय सूर्यवंशी ने बताया कि सर्जरी करवाकर मैं बहुत खुश हूं। 

अब लगता है कि मुझे जो शरीर चाहिए था वह मिल गया है। तीन सर्जरी में उसे लगभग 10 लाख का खर्च आया जो उसे मध्यप्रदेश एवं भारत सरकार की आयुष्मान योजना से संभव हो सका। कृष्णा सूर्यवंशी की छोटी बहन स्वाति के नए रूप परिर्वतन से उसके परिवार के लोग पहले तो इस प्रकार की सर्जरी के खिलाफ में थे लेकिन विरोध ज्यादा दिनो तक चल नहीं सका और अब पूरे परिवार ने उसे स्वीकार कर लिया है।

कृष्णा सूर्यवंशी ने बताया कि उसके माता - पिता की पांच संतान में जन्म से चार बहने का वह एक मात्र भाई था लेकिन अब दो भाई और तीन बहने है। स्वाति जो सबसे छोटी थी अब वह सबसे छोटा भाई बन चुका है। शिवाय सूर्यवंशी के अनुसार हर सर्जरी के बाद तीन माह का आराम करना होता है। 

उन्होंने बताया कि अभी कुछ महीने पहले ही उनकी चौथी सर्जरी हुई थी, जिसमें स्किन टाइट करवाया गया है। इसके बाद आराम किया। इन्दौर स्थित देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने पूर्व छात्रा स्वाति सूर्यवंशी के द्वारा जेंडर चेंज करवाने के बाद अपने विश्वविद्यालय के रिकार्ड में नाम एवं लिंग परिवर्तन के आवेदन को अस्वीकार कर दिया। पहले विश्वविद्यालय पहचान बदलने के लिए राजी नहीं हुआ। पर अब पूरे मामले में विधिक राय के साथ ही समिति से जांच करवाने जा रहा है।

 दरअसल बैतूल निवासी छात्रा ने लड़की रहते हुए माध्यमिक शिक्षा मंडल से दसवीं.बारहवीं की पास की। बाद में 2020 में विश्वविद्यालय के दायरे में आने वाले एक कालेज से एमबीए पढ़ाई की। फिर छात्रा ने लिंग परिवर्तन करवाया। अब समाज व परिचितों की नजरों में वह लड़का बन चुका है। 

अपनी इस पहचान को दस्तावेजों में भी बदलवाने में लगा है। माध्यमिक शिक्षा मंडल से 10 वीं - 12 वीं की अंकसूचियों में तो नाम और लिंग में परिवर्तन करा लिया। इस आधार पर भोपाल की माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय से बीसीए की अंकसूची में भी बदलाव किया जा चुका है, लेकिन देवी अहिल्या विश्वविद्यालय एमबीए की अंकसूची में दो महीने से नाम और लिंग बदलने में रुचि नहीं दिखा रहा है। 

अंकसूची में बदलाव करने से पहले विश्वविद्यालय ने डायरेक्टोरेट आफ टेक्निकल एजुकेशन (डीटीई) को पत्र लिखा। मगर उन्होंने सीधे तौर पर मना कर दिया। जवाब में लिंग परिवर्तन संबंधित नियम की जानकारी नहीं है।

 लगभग दो साल तक इन्दौर से भोपाल के घनचक्करी के बाद उसे लिंग परिवर्तन का प्रमाण पत्र तो मिल गया लेकिन आधार कार्ड और वोटर आइ डी कार्ड में बदलाव होने के बाद शैक्षणिक रिकार्ड में बदलाव करवाना इतना आसान नहीं है। मार्च 2020 से लिंग परिवर्तन की लड़ाई जीतने के बाद से उसकी दुसरी लड़ाई जारी है वह से वह कहलाने की।

 इन्दौर विश्वविद्यालय प्रशासन विधिक राय लेने पर राजी हुआ है। परीक्षा विभाग के सहायक कुलसचिव डाण् विष्णु मिश्रा ने कहा कि पूरे मामले में विधिक राय ले रहे हैं। यहां तक कि एक समिति से भी दस्तावेज की जांच करवाई जाएगी।