गौरी शंकर को लाला

गौरी शंकर को लाला, अनुपम छवि रूप निराला 

करूं तेरा वंदन सुबहोशाम ध्यान लगाऊं आठों याम 


प्रथमा मैं तुम्हें पुकारूं करना सब दूर विघ्ना

पलकन पांवरे बिछाऊं आ जाओ मेरे अंगना 

आसन लगाऊं अपने धाम तुमको मनाऊं सुबहोशाम

गौरी शंकर को लाला, अनुपम छवि रूप निराला 

करूं तेरा वंदन सुबहोशाम ध्यान लगाऊं आठों याम   


मोदक का भोग लगाऊं गौरीसुत हे गजवदना

दूर्वा अक्षत और मेवा खीर बनाऊं भवना

भोग लगाऊं सुबहोशाम तुमको मनाऊं जप नाम

गौरी शंकर को लाला, अनुपम छवि रूप निराला 

करूं तेरा वंदन सुबहोशाम ध्यान लगाऊं आठों याम   


तुम हो देवों की आत्मा वेदों की कर दी रचना 

मातुल है कृष्ण तुम्हारे मां लक्ष्मी के तुम भगिना

कपूर जलाऊं लौंगे डाल आरत गाऊं तेरे धाम

गौरी शंकर को लाला, अनुपम छवि रूप निराला 

करूं तेरा वंदन सुबहोशाम ध्यान लगाऊं आठों याम   


राहों के शूल हटाना भक्तों के काम पुराना

जीवन में पुहुप खिलाना आंगन को चमन बनाना 

अलका मनावे धर ध्यान सुबह शाम आठों याम

गौरी शंकर को लाला, अनुपम छवि रूप निराला 

करूं तेरा वंदन सुबहोशाम ध्यान लगाऊं आठों याम   


डॉ. अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'

लखनऊ उत्तर प्रदेश