जय माता दी

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा

पावन नवरात्रों का आगमन

हाथ जोड़कर करते मां

सदा तुम्हारा अभिनंदन

हमारे अंगना में विराजो

कर दो मां यह उपकार

हृदय में बसो आकर

महिमा तुम्हारी अपरम्पार

ममतामय छवि तुम्हारी

सबके दुःख हर लेती हो

शरण में मैया जो भी आए

वरद हस्त रख देती हो

हर हृदय में भक्ति तुम्हारी

आंगन में मां का जागरण

सबकी विपदा हरने वाली

चरणों में अर्पण तन मन

सोना चांदी पास नहीं मेरे

बस भावों की माला लाई हूं

सपरिवार करूं वन्दना

तुम्हारे चरणों में रहने आई हूं


स्वरचित एवं मौलिक

अलका शर्मा, शामली, उत्तर प्रदेश