गम-ए-दस्तूर

दिल के छालों को हवा देते हैं,

गम ए दस्तूर दगा देते हैं ।


जिंदगी प्यार ए वफ़ा नाम तेरा,

बेवफा सांसे जहर भर देते हैं।


क्यों दिखाएं यूं इश्क में सपने,

फिजा कहरे जफा में बदल देते है।


वफ़ा के फूल खिलाएं तेरे दामन में,

न किए मुकम्मल वो मसल देते हैं।


परवान ए इश्क कोई खेल नहीं ,

परवाने तो लौ पर जां लुटा देते हैं।


प्यार में गुंजार भौंरे रात खोते,

जिंदगी के सबक सीख लेते हैं ।


रंग मुहब्बत का सुनहला अलका,

सूरत ए अशआर बदल देते हैं।


डॉ0 अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'

लखनऊ उत्तर प्रदेश।