बालाजी मंदिर को मिले मंदिर के प्राचीन तांबे और पीतल बर्तन

चित्रकूट के कर्बी कस्बे का बालाजी मंदिर, जो की है 5000 वर्ष पुराना है,इस मंदिर का इतिहास तो पुराना है ही, इसकी मान्यता भी अलग है, ऐसा कहा जाता है की जो पुण्य तिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन में होता है, वही पुण्य  करवी के इस बालाजी मंदिर में लोगों को मिलता है, दूरी की वजह के चलते उत्तर प्रदेश के करवी कस्बे में इस मंदिर की स्थापना 5000 वर्ष पूर्व की गई थी। 

विडंबना वाली बात देखिये जैसे ही इस मंदिर के पीठाधीश्वर अनंत विभूषित ब्रह्मऋषि स्वामी मंगल नाथ महाराज स्वर्ग वासी हुए वैसे ही मंदिर ट्रस्ट द्वारा गुरुदेव डॉ0 मंगल नाथ महाराज के पूर्व लिखित निर्णय के आदेशानुसार कृपाशंकर तिवारी को इस संपूर्ण मंदिर परिसर का उत्तरदायित्व संभालने को दिया गया और उत्तरदायित्व संभालने के दो वर्ष बाद ही लोगों ने इस मंदिर के प्राचीन पीतल, तांबे और जर्मन सिल्वर के बर्तनों को मंदिर व्यवस्थापक कृपा शंकर तिवारी को मीडिया और स्थानीय गणमान्य लोगों के समक्ष अपने आप स्वयं सौंप दिया।

 हम आपको बता दें जिन्होंने यह बर्तन  मंदिर के वर्तमान व्यवस्थापक को दिए, उनकी माता इस मंदिर की पुजारी थी, मंदिर खंडहर होने की वजह से इन पुजारी महिला ने बालाजी मंदिर के बर्तनों को सुरक्षा की नजर से अपने घर में रख लिया था, और जैसे ही इस मंदिर का सुंदरीकरण हुआ, और पुजारी ने पद ग्रहण किया, तो इन्होंने अपने ही मन से इन बर्तनों को मंदिर में समर्पित कर दिया, देखा आपने बिना मांगे ही मंदिर के बर्तनों को पूर्व की महिला पुजारी के बेटे ने बर्तन मंदिर के वर्तमान पुजारी / व्यवस्थापक को सौंप दिए। 

इस मौके पर मंदिर के व्यवस्थापक / पुजारी कृपा शंकर तिवारी, नगर पालिका परिषद के पूर्व वयोवृद्ध लिपिक सुधाकर राव जेजुरकर, सीमा तिवारी, राइटर्स एंड जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन इंडिया के प्रदेश संगठन मंत्री डॉ0 मनोज द्विवेदी, पिंढिया , नामदेव जी, मीडिया कर्मी और पिंटू गौतम आदि मौजूद रहे।