भोले-भोले तुम सब बोलो,
प्रेम की घटिया में रस घोलो,
जीवन की हर राह में भोले,
भक्ति कर भोले का हो लो।
भोले-भोले......
आज हमारे आंगन में भी,
भोले फिर-से आ जाओ,
दीप जले और दिल भी मिले हैं,
भक्ति का पाठ पढ़ा जाओ।
भोले-भोले........
बगिया में जो फूल खिले हैं,
केवड़ ,मोगर-से महके हैं,
भोले से जो प्रीत लगी तो,
वो जीवन में ना भटके हैं।
भोले-भोले ......
सांझ-सवेरे भोले बोलें,
जो भी बोलें प्रेम से बोलें,
अंतस से सब अहं को ढोलें,
अपनेपन से भोले बोलें।
भोले-भोले .....
मन-दर्पण में भोले बसाले,
सारा जीवन फिर महका लें,
ओम की धूरी पर चल कर सब,
जीवन-चक्र अभी सुधरा लें।
भोले-भोले ........
कार्तिकेय कुमार त्रिपाठी 'राम'
सी स्पेशल, गांधीनगर, इन्दौर