डीएम नेहा शर्मा की बड़ी कार्यवाही, कौशल विकास प्रशिक्षण क्षेत्र में फर्जीवाड़े का खुलासा

गोण्डा । जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा के औचक निरीक्षण में जनपद में संचालित कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्रों के फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ है। नियम विरुद्ध तरीके से प्रशिक्षण कार्य के लिए शासन की ओर से नामित संस्थाओं द्वारा कार्य को सबलेट किए जाने का सच सामने आया है। जिसके बाद, जिलाधिकारी द्वारा जनपद के सभी कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्रों की जांच सात दिन में पूरी कर रिपोर्ट देने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।

 जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा सोमवार की शाम विकासखण्ड वजीरगंज अंतर्गत ग्राम हथिनाग (डुमरियाडीह) में संचालित आवासीय कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्र का आकस्मिक निरीक्षण करने पहुंची। यह केन्द्र शीतलादेवी मेमोरियल शिक्षण संस्थान के परिसर में संचालित है। केन्द्र पर अव्यवस्थाओं को देखकर डीएम ने जमकर फटकार लगाई।

 इस केन्द्र में बालक एवं बालिका छात्रावास में कोई भी प्रशिक्षणार्थी नहीं रह रहा था। छात्रावास में ताले लगे हुए पाए गए। निरीक्षण के दौरान प्रशिक्षण केन्द्र पर देवेन्द्र कुमार गुप्ता, अश्विनी कुमार मौर्या, मानस प्रताप सिंह व अवनीश तिवारी ट्रेनर के अतिरिक्त हॉस्टल केयर टेकर राजेश कुमार उपस्थित थे। 

निरीक्षण के समय 01 बालक (प्रांशु श्रीवास्तव) एवं 05 बालिकाएं (आफरीन खान, मुस्कान सिंह, ब्यूटी श्रीवास्तव, शिवावती व सुश्री कोमल) केन्द्र पर उपस्थित थीं। उनसे पूछताछ करने पर अवगत कराया गया कि वह सायंकालीन पाली में बायो-मीट्रिक उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आये थे। बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज करने का समय पूंछने पर उपस्थिति टीओटी द्वारा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया जा सका।

जिलाधिकारी द्वारा की गई पूछताछ के दौरान हॉस्टल केयर टेकर राजेश कुमार ने स्वीकार किया कि शासन द्वारा प्रशिक्षण के लिए बाहर की एक संस्था को नामित किया गया है। संबंधित संस्था ने उन्हें यह काम सबलेट किया है और 9 रुपये प्रति घंटे प्रति छात्र के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है। केन्द्र शीतलादेवी मेमोरियल शिक्षण संस्थान के परिसर में संचालित आवासीय कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्र में अव्यवस्थाओं के खुलासे के बाद जिलाधिकारी ने जनपद के सभी केन्द्रों की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।

 डीएम ने साफ किया है कि जांच टीमों का गठन कर केन्द्रों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षणार्थी के वास्तवित उपस्थिति, प्लेसमेंट से लेकर अन्य मानकों की जांच कराई जाए। इसके लिए जिला समन्वयक कार्यक्रम प्रबंधन इकाई को सत्यापन टीनों का गठन कराते हुए मुख्य विकास अधिकारी के माध्यम से पत्रावली प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। डीएम ने साफ किया है कि सत्यापन टीमों द्वारा जांच उपरांत 7 दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।