कुछ कहना है।

इस दुनिया से अलविदा होने ,

के पहले,

हमें कुछ कहना है।

समय पर हल निकालने के लिए,

कसरतें कुछ करना है।

एक नवीन सन्देश को,

हर्ष और उल्लास से,

लोगों के बीच बांटने की मजबूत कोशिश,

करना है।

सभ्य समाज में व्याप्त है बुराइयों का जहर,

हमें आज़ सम्हलकर चलना है,

खत्म करने में मदद करना है,

इसी तरह यह शरारत खत्म हो पाएंगी,

नज़रें नीची नजर नहीं आएंगी।

मिलजुलकर रहने का एक खुशनुमा रंग दिखेंगी।

सबके लिए एक रंगीन रातें आएंगी।

सफ़र में आगे बढ़ने का रंग जमेगा,

उत्साहित मन से विश्वास जगेगा।

डॉ० अशोक, पटना, बिहार।